"विकिपीडिया:नीतियाँ और दिशानिर्देश": अवतरणों में अंतर

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==भूमिका==
*पृथ्वी सिंह बैनीवाल द्वारा धरती माता के गायन में एक रचना,
*नीतियों की सम्पादकों के बीच विस्तृत स्वीकृति है और यह उन मानकों का वर्णन करती हैं जिनका सभी प्रयोक्ताओं को आमतौर पर पालन करना चाहिए।
 
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*देशानिर्देश वे श्रेष्ठ लेखन विधियाँ हैं जो आमराय द्वारा समर्थित हैं। सम्पादकों को देशानिर्देशों का पालन करने का प्रयास करना चाहिए, यद्यपि यह स्वविवेक और आम समझ पर निर्भर करते हैं, और इनमें कभी-कभार कोई अपवाद भी हो सकता है।
 
घायल धरती माता की मैं तस्वीर दिखाने आया हूँ। हरी-भरी हो धरती सारी मैं निवेदन गाने आया हूँ। गीत गाता हूँ मैं नित्य ही इस धरती के अभिनन्दन के। बचायें वन हम सब मिल कीकर खेजड़ी चन्दन के। लेकिन धरती के कण कण में कोलाहल भरा, वही गीत लिखता हूँ मैं धरती माता के क्रंदन के। घायल सब जंगल शेर चिरैया चिन्ह यहाँ गोली के। घर घर पिंजरै कैद पड़े हैं, गीत कोयल की बोली के। पग पग है दाग धरती पै आतंकवाद की होली के। कैसे वीरांगनां गीत गाएं, मँगल सूत्र और रोली के। मैं धरती माँ का गायक हूँ इसका दर्द गाने आया हूँ।।1।।हरी भरी हो धरती सारी मैं निवेदन गाने आया हूँ।।
 
कहीं बने मंदिर-मस्जिद कहीं बने कोई राजधानी, चप्पै चप्पै बहुत जरूरी, पीने को स्वच्छ हमें पानी। पश्चिमी पौषण पा करके भारतीय कभी फूलो नहीं। संस्कृति भारत की बड़ी है, जिसे कभी भूलो नहीं। कहीं आतंकवाद हावी है, कहीं पै है त्रिशूल चले। पश्चिम का गाना गा रहे हैं, भारतीय राग भूल चले। दूषित सोच ने घर किया आँचल माता बहन का त्रस्त है। सुधार जिम्मेदारी है जिसकी, है अपने लालच में मस्त वो। क्या यही सपना था खेजड़ली के महाबलिदानो का। जागो भारत माँ के वीरों मैं तुम्हें जगाने आया हूँ।।2।। हरी भरी हो धरती सारी, मैं निवेदन गाने आया हूँ।।
 
नहीं जलाओ व्यर्थ लाईट, न पानी व्यर्थ बहाओ। पोलिथीन मत उपयोग करो, अब कई पेड़ लगाओ। मनाओ नित मिल कर सारे, सदा ही अर्थ -डे। नित समय सदोपयोग करो, जाने न पाए व्यर्थ-डे। कटने न पाए पेड़ कोई, रखो धरती को हरा भरा। नहीं लगाओ कोई आग खेत में, सुगंधित हो जर्रा जर्रा। मत बहको लालच के बादल और बहकावों में, मत आओ मक्कारी और बेईमानी के दावों में। कितनी आपा धापी जागी है हर पल धन कमाने की। अवैध काम को पगडँडी बना ली, झूठी शान दिखाने की। कोई पूजा के ना फूल बेच दे, खुलेआम बाजारों में। बड़े प्यार से पर्व मनाओ गावो गीत सब बहारों के। मैं आज बीच में आपके कुछ पेड़ लगाने आया हूँ ।।3।। हरी भरी रहे धरती सारी मैं निवदन गाने आया हूँ।।
 
कोई पेड़ों के सिर कुल्हाड़ी, थाम कभी न पाए। कोई पौधा-रोपण अभियान, जी चुरा न पाए। आओ नौ जवानो सब, अब प्रदूषण से धरा बचाओ। कोई जवान बन भागीरथ अब गँगा स्वच्छ बनाओ। कोई अभियंता बन योजना, प्रदूषणरोधी बनाओ। कोई पर्यावरण संरक्षण को, संस्थान पीठ बनाओ। आज पृथ्वी दिवस पर युवको पृथ्वी मित्र बन जाओ। आओ सपूतो भारत माँ के,मैं संस्कार सिखाने आया हूँ।।4।। हरी भरी रहे दरती सारी, मैं निवेदन गाने आया हूँ।।
 
अब कोयल की डोली को गिद्धो के घर न जाने दो । अब हँसो को बगुला भक्तों को मत खाने दो। देश हर नागरिक हो समान दिल्ली के कानूनों में। नौच डालो वन माफिया को, जो ताकत उन नाखूनों में। तभी फूलों को नितत नित तितली प्यारी लगेगी। भारतीय बहार सभी को सदा ही न्यारी लगेगी। कथनी करणी एक रहे जयचंदों का न अभिनंदन हो। महके चन्दन कौने कौने कहीं सांपो का न बन्धन हो। जब सब युवक एक एक पौधा लगाने लग जाएगें। जब सब बून्द बून्द पानी बचाने में संलग्न हो जायेंगे। जब सब मिल खेजड़ली ज्यूँ पेड़ बचाने लग जायेंगे। जुझ पड़ेंगे खेजड़ली की तरह तभी वन बच पायेंगे। सबकी तरह मैं भी अर्थ-डे रंगोली बनाने आया हूँ ।।5।। हरी भरी रहे धरती सारी निवेदन गाने आया हूँ ।।
 
धरती ध्यान वनस्पति वासो, जम्भवाणी ये बताती है। सोम अमावस आदित्यवारी, गुरुवाणी समझाती है। सब कोई पर्यावरण हित पेड़ लगाने लग जायेगा। जब सब प्रदूषण रोकने में, संस्कारी लग जायेगा। एक दूसरे पर न डाल फर्ज, सुकरत में लग जायेगा। उपयोग करो नित को री-साईकिल्ड लिफापों का। बल्टी जगह नित शावर से सब करो स्नान । सौर ऊर्जा का प्रयोग करो कहते गुरु जम्भेश्वर भगवान । त्याग प्लास्टिक बैगों को थैले कपड़े के अपनाओ सब । उपयोग सार्वजनिक परिवहन से स्कूल जाओ आओ अब। पौधारोपण जल संरक्षण वर्तमान में बहुत जरूरी है। विलुप्त हो रही प्रजाति को बचाना बहुत जरूरी है। वन बचाना सृष्टि हित में अब तो बहुत जरूरी है। संतान खेजड़ली वीरों की, मैं यही बताने आया हूँ। 1787 महाबलिदान पेड़ो हित मैं उसकी महिमा गाने आया हूँ। जो अर्थ-डे मनाया खेजड़ली में मैं वही मनाने आया हूँ। आकाश वायु अग्नि जल और धरा मनाने आया हूँ। पृथ्वी को तुम बचाओ, मैं यह गुर समझाने आया हूँ।।6।। हरी भरी रहे पृथ्वी सारी मैं निवेदन गाने आया हूँ।।
 
- पृथ्वीसिंह बैनीवाल (KPJAT08) (RAJASTHAN)
 
==लेख लिखने के निर्देश==