"उर्दू शायरी": अवतरणों में अंतर

छो 49.35.159.85 (Talk) के संपादनों को हटाकर 2405:204:A489:CFD8:2551:DBE9:F7AF:A78A के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया
टैग: वापस लिया Reverted
Bsadowski1 (वार्ता) के अवतरण 5212290पर वापस ले जाया गया : - (ट्विंकल)
टैग: किए हुए कार्य को पूर्ववत करना
पंक्ति 3:
[[चित्र:Ghalibverse.png|thumb|230px|ग़ालिब बुरा न मान जो वाइज़ (मुल्ला/पंडित) बुरा कहे,<br />ऐसा भी है कोई के सब अच्छा कहें जिसे?]]
'''शायरी''' ({{Nastaliq|ur|شاعری}}), '''शेर-ओ-शायरी''' या '''सुख़न''' [[भारतीय उपमहाद्वीप]] में प्रचलित एक कविता का रूप हैं जिसमें [[उर्दू भाषा|उर्दू-]][[हिन्दी]] भाषाओँ में कविताएँ लिखी जाती हैं।<ref name="ref80lefuc">[http://books.google.com/books?id=ZMZjAAAAMAAJ Culture of Hindi] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20190401004939/https://books.google.com/books?id=ZMZjAAAAMAAJ |date=1 अप्रैल 2019 }}, Malik Mohammad, Kalinga Publications, 2005, ISBN 978-81-87644-73-6</ref> शायरी में [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]], [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]], [[अरबी भाषा|अरबी]] और [[तुर्कीयाई भाषा|तुर्की]] भाषाओँ के मूल शब्दों का मिश्रित प्रयोग किया जाता है। शायरी लिखने वाले कवि को '''शायर''' या '''सुख़नवर''' कहा जाता है।
 
 
 
तुम मेरी सोच नहि मेरी वास्तविकता हो
मै तुम्हें छूना चाहता हूँ
 
कोमल शुक्ला
 
== आम प्रयोग में ==