"उर्दू शायरी": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Ghalibverse.png|thumb|230px|ग़ालिब बुरा न मान जो वाइज़ (मुल्ला/पंडित) बुरा कहे,<br />ऐसा भी है कोई के सब अच्छा कहें जिसे?]]
'''शायरी''' ({{Nastaliq|ur|شاعری}}), '''शेर-ओ-शायरी''' या '''सुख़न''' [[भारतीय उपमहाद्वीप]] में प्रचलित एक कविता का रूप हैं जिसमें [[उर्दू भाषा|उर्दू-]][[हिन्दी]] भाषाओँ में कविताएँ लिखी जाती हैं।<ref name="ref80lefuc">[http://books.google.com/books?id=ZMZjAAAAMAAJ Culture of Hindi] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20190401004939/https://books.google.com/books?id=ZMZjAAAAMAAJ |date=1 अप्रैल 2019 }}, Malik Mohammad, Kalinga Publications, 2005, ISBN 978-81-87644-73-6</ref> शायरी में [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]], [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]], [[अरबी भाषा|अरबी]] और [[तुर्कीयाई भाषा|तुर्की]] भाषाओँ के मूल शब्दों का मिश्रित प्रयोग किया जाता है। शायरी लिखने वाले कवि को '''शायर''' या '''सुख़नवर''' कहा जाता है।
== आम प्रयोग में ==
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