"कामाख्या मन्दिर": अवतरणों में अंतर

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'''कामाख्या मंदिर''' [[असम]] की राजधानी दिसपुर के पास गुवाहाटी से ८ किलोमीटर दूर कामाख्या में है। कामाख्या से भी १० किलोमीटर दूर नीलाचल पव॑त पर स्थित है। यह मंदिर शक्ति की देवी सती का मंदिर है। यह मंदिर एक पहाड़ी पर बना है <ref>{{cite web|url= https://www.myoksha.com/kamakhya-temple/|title= कामाख्या मन्दिर|access-date= 19 अगस्त 2016|archive-url= https://web.archive.org/web/20160820093405/https://www.myoksha.com/kamakhya-temple/|archive-date= 20 अगस्त 2016|url-status= dead}}</ref> व इसका महत् तांत्रिक महत्व है। प्राचीन काल से सतयुगीन तीर्थ कामाख्या वर्तमान में तंत्र सिद्धि का सर्वोच्च स्थल है। पूर्वोत्तर के मुख्य द्वार कहे जाने वाले असम राज्य की राजधानी दिसपुर से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नीलांचल अथवा नीलशैल पर्वतमालाओं पर स्थित मां भगवती कामाख्या का सिद्ध शक्तिपीठ सती के इक्यावन शक्तिपीठों में सर्वोच्च स्थान रखता है। यहीं भगवती की महामुद्रा (योनि-कुण्ड) स्थित है। देश भर मे अनेकों सिद्ध स्थान है जहाँ माता सुक्ष्म स्वरूप मे निवास करती है प्रमुख महाशक्तिपीठों मे माता कामाख्या का यह मंदिर सुशोभित है हिंगलाज की भवानी, कांगड़ा की ज्वालामुखी, सहारनपुर की शाकम्भरी देवी, विन्ध्याचल की विन्ध्यावासिनी देवी आदि महान शक्तिपीठ श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र एवं तंत्र- मंत्र, योग-साधना के सिद्ध स्थान है।
 
 
यहाँ भगवती सती का योनि (गर्भ) गिरा था,योनि (गर्भ) वह स्थान है जहाँ शिशु का 9 महीने पालन होता है,तथा शिशु यही से इस दुनिया मे प्रवेश करता है। और इसे संसार के सृजन का कारण माना जाता है। यहाँ श्रधालु आके देवी सती के गिरे हुए योनि(गर्भ) जो देवी कामाख्या के रूप मे है उसकी पूजा करते है तथा उस देवी सती के योनि गर्भ को संसार का उत्पति के कारण के रूप मे मान कर उसकी पूजा करते है। जैसे एक मनुष्य की माँ के योनि गर्भ से एक बच्चा निकलता है उसी तरह से देवी सती के गर्भ जो देवी कामाख्या के रूप मे है उसी से ये संसार उत्पन्न हुआ है।
 
यहाँ देश भर मे अनेकों सिद्ध स्थान है जहाँ माता सुक्ष्म स्वरूप मे निवास करती है प्रमुख महाशक्तिपीठों मे माता कामाख्या का यह मंदिर सुशोभित है हिंगलाज की भवानी, कांगड़ा की ज्वालामुखी, सहारनपुर की शाकम्भरी देवी, विन्ध्याचल की विन्ध्यावासिनी देवी आदि महान शक्तिपीठ श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र एवं तंत्र- मंत्र, योग-साधना के सिद्ध स्थान है।
यहाँ मान्यता है, कि जो भी बाहर से आये भक्तगण जीवन में तीन बार दर्शन कर लेते हैं उनके सांसारिक भव बंधन से मुक्ति मिल जाती है । " या देवी सर्व भूतेषू मातृ रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।