"काबुल का पतन - 2021": अवतरणों में अंतर

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[[तालिबान]] के लड़ाकों ने 1 मई 2021 को [[अफगानिस्तान]] से अधिकांश अमेरिकी सैनिकों की वापसी के साथ-साथ व्यापक आक्रमण शुरू किया। देश भर में अपनी तीव्र हार के बाद, अफ़ग़ान राष्ट्रीय सेना ने बिना लड़े आत्मसमर्पण कर दिया था, और अगस्त के मध्य तक केवल दो इकाइयाँ चालू रहीं: 201 वीं कोर और 111 वीं डिवीजन, दोनों काबुल में स्थित थीं। तालिबान बलों द्वारा मिहतरलम, शरणा, गरदेज़, असदाबाद, और अन्य शहरों के साथ-साथ पूर्व के जिलों पर कब्जा करने के बाद राजधानी शहर को ही घेर लिया गया था। जिसके बाद तालिबानियों ने काबुल प्रवेश कर [[काबुल अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र|हबाई अड्डे]] के अलावा पूरी राजधानी काबुल पर नियंत्रण कर लिया जिसके साथ काबुल और अमरीकी समर्थित या कठपुतली अफगान सरकार का पतन हो गया था.<ref>{{Cite web |date=13 August 2021 |title=Taliban expected to reach Afghan capital Kabul 'in seven days', ITV News learns |url=https://www.itv.com/news/2021-08-13/taliban-expected-to-reach-afghan-capital-kabul-in-seven-days-itv-news-learns|access-date=14 August 2021 |website=ITV News|archive-date=14 August 2021|archive-url=https://web.archive.org/web/20210814203109/https://www.itv.com/news/2021-08-13/taliban-expected-to-reach-afghan-capital-kabul-in-seven-days-itv-news-learns|url-status=live}}</ref>.<ref name="guardian15" /><ref>{{Cite news |url=https://economictimes.indiatimes.com/news/defence/afghan-forces-surrender-bagram-air-base-to-taliban/articleshow/85347683.cms |title=Afghan forces surrender Bagram air base to Taliban |newspaper=The Economic Times|access-date=15 August 2021|archive-date=15 August 2021|archive-url=https://web.archive.org/web/20210815184748/https://economictimes.indiatimes.com/news/defence/afghan-forces-surrender-bagram-air-base-to-taliban/articleshow/85347683.cms|url-status=live}}</ref>
==जीत के योद्धा==
[[संयुक्त राज्य अमेरिका]] के अनुरोध पर तीन साल से भी कम समय पहले [[पाकिस्तान]] की जेल से रिहा हुआ तालिबान नेता [[अब्दुल गनी बरादर]] अफगानिस्तान में 20 साल से चल रहे युद्ध के निर्विवाद विजेता के रूप में उभर कर सामने आया है, जबकि [[हैबतुल्लाह अखुंदजादा]] [[तालिबान आन्दोलन]] के समग्र नेता हैं, बरादर इसका राजनीतिक प्रमुख और इसका सबसे बड़ा सार्वजनिक चेहरा है। 1968 में [[अफ़ग़ानिस्तान]] के उरुजगान प्रांत में जन्मे अब्दुल गनी बरादर ने 1980 के दशक में सोवियत संघ के खिलाफ अफगान मुजाहिदीन में लड़ाई लड़ी। 1992 में रूसियों को बाहर निकालने के बाद और देश में प्रतिद्वंद्वी गुटों के युद्ध के बीच बरादर ने अपने पूर्व कमांडर और बहनोई, [[मोहम्मद उमर]] के साथ [[कंधार]] में एक मदरसा स्थापित किया। दोनों ने मिलकर तालिबान की स्थापना की, जो देश के धार्मिक शुद्धिकरण और एक अमीरात के निर्माण के लिए समर्पित युवा इस्लामी विद्वानों के नेतृत्व में एक आंदोलन था। हैबतुल्लाह अखुंदजादा कंधार के एक कट्टर धार्मिक नेता हैं, जो 1980 के दशक में, अफगानिस्तान में सोवियत सैन्य अभियान के खिलाफ इस्लामी अभियान चलाया था। अखुंदज़ादा तालिबान के सर्वोच्च नेता के तौर पर विख्यात है, जो राजनीतिक, धार्मिक और सैन्य मामलों पर अंतिम अधिकार रखता है। अखुंदज़ादा को इस्लामिक कानून का विद्वान माना जाता है। वर्ष 2016 में अमेरिका ने एक ड्रोन हमले में तालिबान के प्रमुख [[अख्तर मंसूर]] को मार गिराया था। इसके बाद अखुंदज़ादा को मंसूर का उत्तराधिकारी बनाने का ऐलान किया गया। आजकल तालिबान संगठन का तीसरा प्रमुख चेहरा है [[सुहैल शाहीन]], जो तालिबानी संगठन के प्रवक्ता हैं।<ref>[https://www.livehindustan.com/international/story-afghanistan-news-taliban-spokesperson-muhammed-suhail-shaheen-says-no-danger-from-our-side-to-embassies-and-diplomats-india-did-well-in-past-4356235.html'दूतावास-राजनयिकों हमसे खतरा नहीं'; तालिबान ने अफगान में भारत के काम को सराहा, कहा- मगर सेना आई तो...]</ref>
==इन्हें भी देखें==
==सन्दर्भ==