"जाति": अवतरणों में अंतर
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[[File:Basor Dalit caste.jpg|thumb|उत्तर प्रदेश की बसोर जाति]]
यह सच है की भारत में सभी वर्ण के लोगों को समान सम्मान,इज्जत और अवसर दिया जाता था। सबकुछ इंसान के योग्यता पर आधारित होता था। शिक्षा सबके लिए बहुत जरुरी हिस्सा था। फिर अंग्रेज़ो ने जातिप्रथा को बढ़ावा दिया। अंग्रेज़ों ने गलत तथ्य दिए उनमें से एक तथ्य यह है कि अंग्रेजों को भारत से खदेड़ने के लिए पहला विद्रोह तिलका मांझी ने सन् 1824 में में उस समय किया था, जब उन्होंने अंग्रेज़ कमिश्नर क्लीवलैण्ड को तीर से मार गिराया था। सन् 1765 में खासी जनजाति ने अंग्रेज़ों के विरूद्ध विद्रोह किया था। सन् 1817 ई. में खानदेश आन्दोलन, सन् 1855 ई. में संथाल विद्रोह तथा सन् 1890 में बिरसा मुंडा का आन्दोलन अंग्रेज़ों के विरूद्ध आदिवासियों के संघर्ष की गौरव गाथाएं हैं, किन्तु दुर्भाग्य की बात है कि इतिहाकार 1857 ई. को ही नवजागरण का प्रस्थान बिन्दु मानते हैं और आदिवासियों के सशस्त्र विद्रोह की उपेक्षा कर देते हैं। यह अत्यन्त क्षोभ की बात है कि जिन आदिवासियों ने भारतभूमि को अंग्रेज़ों के चंगुल से बचाने के लिए संघर्ष छेड़ा, उन्हीं दीन-हीन अबोध आदिवासियों को स्वाधीनता मिलने के बाद से ही विकास के नाम पर उनके जल, जंगल और जमीन से खदेड़ने का अभियान शुरू कर दिया गया।
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