"प्याज़े का संज्ञानात्मक विकास सिद्धान्त": अवतरणों में अंतर

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इस अवस्था में बालक स्वकेन्द्रित व स्वार्थी न होकर दूसरों के सम्पर्क से ज्ञान अर्जित करता है। अब वह खेल, अनुकरण, चित्र-निर्माण तथा भाषा के माध्यम से वस्तुओं के संबंध में अपनी जानकारी अधिकाधिक बढ़ाता है। धीरे-धीरे वह प्रतीकों को ग्रहण करता है किन्तु किसी भी कार्य का क्या संबंध होता है तथा तार्किक चिन्तन के प्रति अनभिज्ञ रहते हैं। इस अवस्था में [[अनुकरण]]शीलता पायी जाती है। इस अवस्था मे बालक के अनुकरणों मे परिपक्वता आ जाती है। इस अवस्था मे प्रकट होने वाले लक्षण दो प्रकार के होने से इसे दो भागों में बांटा गया है।
 
*(क) '''पूर्व सम्प्रत्यात्मक काल''' (Pre–conceptional या Symbolic function substage ; 2-4 वर्ष) : पूर्व-प्रत्यात्मक काल लगभग 2 वर्ष से 4 वर्ष तक चलता है। बालक संकेत तथा चिह्न को मस्तिष्क में ग्रहण करते हैं। बालक निर्जीव वस्तुओं को सजीव समझते हैं।आत्मकेंद्रित हो जाता है बालक। संकेतों एवं भाषा का विकास तेज होने लगता है। इस स्तर का बच्चा सूचकता विकसित कर लेता है अर्थात किसी भी चीज के लिए प्रतिभा, शब्द आदि का प्रयोग कर लेता है। छोटा बच्चा माँ की प्रतिमा रखता है। बालक विभिन्न घटनाओं और कार्यो के संबंध में '''क्यों''' और '''कैसे''' जानने में रूचि रखते हैं। इस अवस्था में भाषा विकास का विशेष महत्व होता है। दो वर्ष का बालक एक या दो शब्दों के वाक्य बोल लेता है जबकि तीन वर्ष का बालक आठ-दस शब्दों के वाक्य बोल लेता है।
*(क) '''पूर्व सम्प्रत्यात्मक काल''' (Pre–conceptional या Symbolic function substage ; 2-4 वर्ष) :
पूर्व-प्रत्यात्मक काल लगभग 2 वर्ष से 4 वर्ष तक चलता है। बालक संकेत तथा चिह्न को मस्तिष्क में ग्रहण करते हैं। बालक निर्जीव वस्तुओं को सजीव समझते हैं।आत्मकेंद्रित हो जाता है बालक। संकेतों एवं भाषा का विकास तेज होने लगता है।
 
*(ख) '''अंतःप्रज्ञक काल''' (Intuitive thought substage ; 4-7 वर्ष) : बालक छोटी छोटी गणनाओं जैसे जोड़-घटाना आदि सीख लेता है। [[संख्या]] प्रयोग करने लगता है। इसमें क्रमबद्ध तर्क नही होता है।
इस स्तर का बच्चा सूचकता विकसित कर लेता है अर्थात किसी भी चीज के लिए प्रतिभा, शब्द आदि का प्रयोग कर लेता है। छोटा बच्चा माँ की प्रतिमा रखता है। बालक विभिन्न घटनाओं और कार्यो के संबंध में '''क्यों''' और '''कैसे''' जानने में रूचि रखते हैं। इस अवस्था में भाषा विकास का विशेष महत्व होता है। दो वर्ष का बालक एक या दो शब्दों के वाक्य बोल लेता है जबकि तीन वर्ष का बालक आठ-दस शब्दों के वाक्य बोल लेता है।
 
*(ख) '''अंतःप्रज्ञक काल''' (Intuitive thought substage ; 4-7 वर्ष) :
बालक छोटी छोटी गणनाओं जैसे जोड़-घटाना आदि सीख लेता है। [[संख्या]] प्रयोग करने लगता है। इसमें क्रमबद्ध तर्क नही होता है।
 
=== मूर्त संक्रियात्मक अवस्था ===