"हेनरी का नियम": अवतरणों में अंतर
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[[भौतिक शास्त्र|भौतिकी]] में '''हेनरी का नियम''' [[गैस]] के भौतिक गुणों से सम्बन्धित एक नियम है जिसे विलियम हेनरी ने १८०३ में प्रतिपादित किया था। हेनरी के नियम के अनुसार-
: किसी नियत ताप पर, किसी द्रव के निश्चित आयतन में घुल सकने वाली किसी गैस की मात्रा उस गैस के उस द्रव के साथ साम्यावस्था की स्थिति में [[आंशिक दाब]] के समानुपाती होती है। प्रतिबन्ध यह है कि घुलने वाली गैस उस द्रव के साथ कोई रासायनिक क्रिया न
इस नियम को दूसरे शब्दों में इस प्रकार भी कह सकते हैं-
: किसी गैस की किसी द्रव में [[विलेयता|घुलनशीलता]] उस गैस के उस द्रव के उपर स्थित आंशिक दाब के समानुपाती होता है।
सामान्य जीवन में हेनरी के नियम का उदाहरण [[कार्बोनित मृदु पेय|बार्बोनित मृदु पेयों]] में देखने को मिलता है।
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# ताप बहुत कम न हो।
# विलयन तनु हो।
# गैस,विलायक से
==इन्हें भी देखें==
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