"रामनरेश त्रिपाठी": अवतरणों में अंतर
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पंक्ति 88:
: ''शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हमसे कीजिए।
: ''लीजिए हमको शरण में, हम सदाचारी बनें,
: ''ब्रह्मचारी, धर्मरक्षक, वीरव्रत धारी बनें। --
गत हमारी आयु हो प्रभु! लोक के उपकार में
हाथ डालें हम कभी क्यों भूलकर अपकार में'
रामनरेश त्रिपाठी''
==== हमारे पूर्वज<ref name=":1" /> ====
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