"मोपला विद्रोह": अवतरणों में अंतर

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'''मोपला विद्रोह''' : [[केरल]] के मोपला मुसलमानों द्वारा १९२1में स्थानीय जमीदारो द्वारा ब्रिटेनियों के विरुद्ध किया गया था। यह विद्रोह '''मोपला विद्रोह''' कहलाता है। यह विद्रोह [[मालाबार]] के एरनद और वल्लुवानद तालुका में [[ख़िलाफ़त आन्दोलन|खिलाफत आन्दोलन]] के विरुद्ध अंग्रेजों द्वारा की गयी दमनात्मक कार्यवाही के विरुद्ध आरम्भ हुआ था। इसमें अंग्रेज़ो द्वारा हिन्दुओ ओर मुस्लिमों के बीच दंगा करने का काफी प्रयास हुआ। इस विद्रोह में 10000 हिन्दुओं का नरसंहार हुआ था ,ये खिलाफत के समर्थन में आंदोलन था
जिसमें वो सफल भी हुए, इसी को आधार बनाकर [[विनायक दामोदर सावरकर]] ने 'मोपला' नामक उपन्यास की रचना की है।
 
 
 
20 हजार हिंदुओं के हत्यारे 387 मोपला जिहादी, स्वतंत्रता सेनानियों की सूची से हटाए जाएँगे।
 
जिहादियों को स्वतंत्रता सेनानी बना देने के काँग्रेसी षड्यंत्र का पर्दाफाश।
 
मोदी सरकार और आईसीएचआर का अभिनन्दन।
 
अबतक देश के किसी भी नागरिक को यह पता ही नहीं था कि मोपला नरसंहार करके "मलयाली राज्यम्" नाम से "इस्लामिक स्टेट" की स्थापना करके स्वयम् को "अरनद का सुल्तान" घोषित कर देने वाला चक्कीपरांबन वरियामकुन्नथु कुंजाहम्मद हाजी (Variyam Kunnathu Kunjahammed Haji) और उसके 387 हिन्दू हत्यारे जिहादी, स्वतंत्रता सेनानी कैसे हो गए? इन्होंने जो हिन्दू नरसंहार किया, उसमें लगातार 6 महीनों तक हिन्दू काटे जाते रहे, अनगिनत बलात्कार हुए, गर्भवती महिलाओं के पेट फाड़ दिए गए, बच्चों को ऊपर उछालकर भाले की नोंक पर ले लिया गया। इतनी क्रुरत्तम हिंसा हुई कि यह दुनियाँ भर के लोगों को दहला गया। कुंजाहम्मद हाजी और उसका सहयोगी अली मुसलियार को उसके अपने 387 साथियों के साथ भारत की स्वतंत्रता के आंदोलन का हीरो बना दिया गया, जबकि इनके इस कत्लेआम में एक भी नारा भारत की आजादी का नहीं लगा, एक भी नारा अंग्रेजों के खिलाफ नहीं लगा, एक भी नारा काँग्रेस और गाँधी-नेहरू के पक्ष में भी नहीं लगा। इनके सभी नारे जिहाद वाले थे, काफिरों के खिलाफ जंग वाले नारे लगाकर हिंदुओं का कत्लेआम हुआ था। किन्तु ऐसे दुर्दांत अपराधियों को स्वतंत्रता सेनानी बनाकर, उनको स्वतंत्रता के उपरांत पेंशन दिलाने की साजिश किसने रची थी? इन प्रश्नों के उत्तर आप स्वयं ढूंढें तो अच्छा रहेगा।
 
1921 के खिलाफत आन्दोलन की आड़ में जब खलीफात के पक्ष में यह कांड किया गया, तो इसको आजादी की लड़ाई की संज्ञा देने वाले लोग कौन थे? क्यों इनको देश के लिए बलिदान होने वालों की सूची के पांचवें भाग में स्थान देकर प्रकाशित, सम्मानित और देशभक्ति के तमगे से विभूषित किया गया? आखिर इस्लामिक स्टेट के पक्षधर इन जिहादियों को आजादी के दीवानों की श्रृंखला में किसने जोड़ दिया? ऐसा षड्यंत्र किसने किया? इस षड्यंत्र को सफल किसने बनाया? ऐसा षड्यंत्र, जिसपर 1921 से आजतक वीर विनायक दामोदर सावरकर के अतिरिक्त अन्य किसी ने उँगली तक नहीं उठाया, या, फिर किसी भी उठती आवाज को दबा दिया गया, या, जनता को आवाज सुनने ही नहीं दिया गया। देश की जनता को ऐसे षड्यंत्रकारियों को पहचानना होगा, उन्हें देश विरोधी मान ही लेना होगा।
 
"मालाबार विद्रोह" या, मोपला विद्रोह के नाम से प्रचारित, प्रकाशित यह नरसंहार मूलतः विद्रोह था ही नहीं, यह तो एक जघन्यतम हत्याकांड था, दिल दहला देने वाला नरसंहार था। केरल के मालाबार तट पर मोपला या मुपल्ला नाम के मुसलमानों ने संगठित भीड़ जुटाकर देश की आजादी के लिए चलाए जा रहे असहयोग आंदोलन की आड़ में यह भीषण नरसंहार किया था। यह दंगा भी नहीं था, क्योंकि हिंदुओं ने कोइ प्रतिकार कियाहो, ऐसा प्रमाण नहीं है। हिंदुओं द्वारा मुसलमानों के मारे जाने की कोई सत्य जानकारी उस घटना के इतिहास में नहीं है। अंग्रेजों ने अवश्य बाद में इस नरसंहार को रोकने की।कोशिश की, जिसमें कुछ मोपला मारे गए होंगे, किन्तु अपने कौम के लिए लड़ने वाले वो लोग भी स्वतंत्रता सेनानी नहीं कहे जा सकते।
 
यह मूलतः टर्की के ख़लीफा के अंग्रेजों द्वारा अपदस्थ कर दिए जाने के बाद, भारत में चलाया गया खलिफात आंदोलन ही था, जो टर्की के खलीफा के पक्ष में चलाया जा रहा था। इसका भारत की आजादी से कोई लेना देना नहीं था। यह खलिफात तो इस्लामिक राज्य की संकल्पना का सीधा सीधा मामला है, जो आज भी दुनियाँ का मुसलमान पाना चाहता है। आज टर्की और पाकिस्तान इसी लक्ष्य की प्राप्ति का प्रयत्न कर रहे हैं। तालिबान भी यही कोशिश कर रहा है। यह मूलतः तालिबानी मानसिकता का पहला आंदोलन था।
 
भारत की शिक्षा मंत्रालय के अधीन कार्य करने वाली इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च (ICHR-भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद) की तीन सदस्यीय जाँच दल ने विस्तृत अध्ययन के उपरान्त इन 387 लोगों को स्वतंत्रता सेनानी होने के योग्य न मानते हुए, इनका नाम स्वतंत्रता सेनानियों की सूची के पाँचवें वोल्युम से हटा देने की सिफारिश केंद्र सरकार को किया था। जिसपर सरकार ने निर्णय लेते हुए, इनका नाम उस सुचि से हटा देने का निर्णय ले लिया है।उनका नाम सूची से डिलिट कर दिया गया है। वेबसाइट पर प्रकाषित सूची सभी उनका नाम डिलीट कर दिया गया है। देशभक्तों को सम्मानित करने वाले इस पुण्य कार्य के लिए के केंद्र सरकार को बधाई। सरकार के अगुआ नरेंद्र मोदी को बधाई। क्रेद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय और आईसीएचआर को बधाई। वंदेमातरम्।
 
~मुरारी शरण शुक्ल।
 
== इन्हें भी देखें==