"अष्टांग योग": अवतरणों में अंतर

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=== ध्यान ===
जब मन को सभी इन्द्रियों के विषयों और भुत भविष्य के चिन्तन और चिंता से मुक्त करके वर्तमान
{{मुख्य|ध्यान}}
के सत्य पर बिना किसी कल्पना के एकाग्र कर लिया जाए उसे ध्यान कहते है
 
किसी एक स्थान पर या वस्तु पर निरन्तर मन स्थिर होना ही ध्यान है।
जब ध्येय वस्तु का चिन्तन करते हुए चित्त तद्रूप हो जाता है तो उसे ध्यान कहते हैं। पूर्ण ध्यान की स्थिति में किसी अन्य वस्तु का ज्ञान अथवा उसकी स्मृति चित्त में प्रविष्ट नहीं होती।
 
=== समाधि ===