"ईसाई धर्म": अवतरणों में अंतर

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{{स्रोत कम|date=मई 2019}}
[[चित्र:Latin Cross.svg|200px|thumbnail|right|'''ईद्भास/क्रॉस''' - यह ईसाई धर्म का निशान है]]
'''ईसाई धर्म''' ('''मसीही''' या '''क्रिश्चियनक्रिस्चन''') एक [[इब्राहीमी धर्म]] है जो प्राचीन [[यहूदी धर्म|यहूदी परंपरा]] से निकला है। अन्य इब्राहीमी धर्मों के सामान यह भी एक [[एकेश्वरवाद|एकेश्वरवादी]] धर्म है। ईसाई परंपरा के अनुसार इसकी शुरूआत प्रथम सदी ई. में [[फ़िलिस्तीनी राज्यक्षेत्र|फलिस्तीन]] में हुई, जिसके अनुयायी 'ईसाई' कहलाते हैं। यह धर्म [[यीशु|यीशु मसीह]] की शिक्षाओं पर आधारित है। ईसाइयों में मुख्ययतः तीन समुदाय हैं, [[कैथोलिक कलीसिया|कैथोलिक]], [[प्रोटेस्टेंट संप्रदाय|प्रोटेस्टेंट]] और [[पूर्वी ऑर्थोडॉक्स चर्च|ऑर्थोडॉक्स]] तथा इनका धर्मग्रंथ [[बाइबिल]] है।<ref>{{Cite web|url=https://www.aajtak.in/education/history/story/history-of-christianity-jesus-christ-and-important-facts-213736-2014-07-02|title=ईसाई धर्म का इतिहास और महत्‍वपूर्ण तथ्‍य|website=आज तक|language=hi|access-date=31 January 2021}}</ref> ईसाइयों के धार्मिक स्थल को [[चर्च]] कहते हैं। विश्व में सर्वाधिक लोग '''ईसाई धर्म''' को मानते हैं।
 
ईसाई धर्म के अनुसार मूर्तिपूजा, हत्या, व्यभिचार व किसी को भी व्यर्थ आघात पहुंचाना पाप है। 4थी सदी तक यह धर्म किसी क्रांति की तरह फैला, किन्तु इसके बाद ईसाई धर्म में अत्यधिक [[कर्मकांड|कर्मकांडों]] की प्रधानता तथा [[कैथोलिक कलीसिया|धर्मसत्ता]] ने दुनिया को [[अंधकार युग]] में धकेल दिया था। फलस्वरूप [[पुनर्जागरण]] के बाद से इसमें रीति-रिवाज़ों के बजाय आत्मिक परिवर्तन पर अधिक ज़ोर दिया जाता है।