"उत्तर प्रदेश": अवतरणों में अंतर

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[[राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (भारत)|भारत के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग]] (एनएचआरसी) के अनुसार, उत्तर प्रदेश [[मुठभेड़]] और पुलिस-हिरासत में हुई मृत्युओं के मामले में राज्यों की सूची में सबसे ऊपर है। २०१४ में देश में दर्ज कुल १५३० न्यायिक मृत्युओं में से ३६५ मृत्युएं राज्य में हुई थी। एनएचआरसी ने आगे कहा कि २०१६ में देश में दर्ज ३०,००० से अधिक हत्याओं में से, ४,८८९ मामले उत्तर प्रदेश से थे। [[गृह मंत्रालय, भारत सरकार|गृह मंत्रालय]] के आंकड़ों के अनुसार, [[बरेली]] में पुलिस-हिरासत में सर्वाधिक २५ मृत्युऐं दर्ज की गई; [[आगरा]] (२१), [[इलाहाबाद]] (१९) और [[वाराणसी]] (९) इससे अगले स्थान पर थे। [[राष्‍ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्‍यूरो]] (एनसीआरबी) के २०११ के आंकड़े कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में भारत के किसी भी राज्य की तुलना में सबसे अधिक अपराध होते हैं, लेकिन इसकी उच्च जनसंख्या के कारण, प्रति व्यक्ति अपराध की वास्तविक दर काफी कम है। सांप्रदायिक हिंसा की सर्वाधिक घटनाओं वाली राज्यों की सूची में भी उत्तर प्रदेश शीर्ष पर बना हुआ है। गृह राज्य मंत्री के २०१४ के एक विश्लेषण के अनुसार भारत में सांप्रदायिक हिंसा की सभी घटनाओं में से २३% घटनाएं उत्तर प्रदेश में घटित हुई। [[भारतीय स्टेट बैंक]] द्वारा एकत्रित एक शोध के अनुसार, उत्तर प्रदेश २७ वर्षों (१९९०-२०१७) की अवधि में अपनी [[मानव विकास सूचकांक]] (एचडीआई) रैंकिंग में सुधार करने में विफल रहा है। १९९० से २०१७ तक भारतीय राज्यों के लिए उप-राष्ट्रीय मानव विकास सूचकांक के आंकड़ों के आधार पर, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि उत्तर प्रदेश में मानव विकास सूचकांक का मूल्य समय के साथ १९९० में ०.३९ से बढ़कर २०१७ में ०.५९ हो गया है। राज्य के गृह विभाग द्वारा शासित [[उत्तर प्रदेश पुलिस]] दुनिया की सबसे बड़ी पुलिस बल है।
 
एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में २०१५ में सड़क और रेल दुर्घटनाओं के कारण सर्वाधिक २३,२१९ मृत्युऐं हुईं। इसमें लापरवाही से वाहन चलाने के कारण हुई ८१०९ मृत्युऐं भी शामिल हैं। २००६ और २०१० के बीच राज्य में तीन आतंकवादी हमले हुए हैं, जिनमें एक ऐतिहासिक पवित्र स्थान, एक अदालत और एक मंदिर में विस्फोट शामिल हैं। २००६ का वाराणसी बम विस्फोट ७ मार्च २००६ को [[वाराणसी]] नगर में हुए बम विस्फोटों की एक श्रृंखला थी, जिसमें कम से कम २८ लोग मारे गए थे और १०१ अन्य घायल हो गए।
 
२३ नवंबर २००७ की दोपहर में, २५ मिनट की अवधि के भीतर, [[लखनऊ]], वाराणसी और [[फैजाबाद]] न्यायालयों में लगातार छह सिलसिलेवार विस्फोट हुए, जिसमें २८ लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए। ये विस्फोट उत्तर प्रदेश पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों द्वारा [[जैश-ए-मोहम्मद]] के उन आतंकवादियों का भंडाफोड़ करने के एक सप्ताह बाद हुए, जिन्होंने [[राहुल गांधी]] का अपहरण करने की योजना बनाई थी। [[इंडियन मुजाहिदीन]] ने विस्फोट से पांच मिनट पहले टीवी स्टेशनों को भेजे गए एक ईमेल में इन विस्फोटों की जिम्मेदारी ली थी। एक और धमाका ७ दिसंबर २०१० को वाराणसी के शीतला घाट हुआ, जिसमें ३८ से अधिक लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए।
 
== अर्थव्यवस्था ==