"ऋषभदेव": अवतरणों में अंतर

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जैन पुराणों के अनुसार अन्तिम कुलकर राजा [[नाभिराज]] के पुत्र ऋषभदेव हुये। भगवान ऋषभदेव का विवाह नन्दा और सुनन्दा से हुआ। ऋषभदेव के १०० पुत्र और दो पुत्रियाँ थी।<ref>https://www.jainismknowledge.com/2020/05/rishabh-dev-ji.html</ref>{{sfn|Sangave|2001|p=105}} उनमें [[भरत चक्रवर्ती]] सबसे बड़े एवं प्रथम चक्रवर्ती सम्राट हुए जिनके नाम पर इस देश का नाम '''[[भारत|भारतवर्ष]]''' पड़ा। दूसरे पुत्र [[बाहुबली]] भी एक महान राजा एवं कामदेव पद से बिभूषित थे। इनके आलावा ऋषभदेव के वृषभसेन, अनन्तविजय, अनन्तवीर्य, अच्युत, वीर, वरवीर आदि 98 पुत्र तथा ब्राम्ही और सुन्दरी नामक दो पुत्रियां भी हुई, जिनको ऋषभदेव ने सर्वप्रथम युग के आरम्भ में क्रमश: लिपिविद्या (अक्षरविद्या) और अंकविद्या का ज्ञान दिया।{{sfn|जैन|1998|p=47-48}}<ref>आदिनाथपुराण और चौबीस तीर्थंकर-पुराण</ref> [[बाहुबली]] और सुंदरी की माता का नाम सुनंदा था। भरत चक्रवर्ती, ब्रह्मी और अन्य ९८98 पुत्रों की माता का नाम यशावती था। ऋषभदेव भगवान की आयु ८४84 लाख पूर्व की थी जिसमें से २०20 लाख पूर्व कुमार अवस्था में व्यतीत हुआ और ६३63 लाख पूर्व राजा की तरह|{{sfn|जैन|२०१५|p=181}}
 
== केवल ज्ञान ==
[[File:Lord Risbabhdev moving over golden lotus after attaining Omniscience.jpg|thumb|ऋषभदेव भगवान [[केवल ज्ञान|केवलज्ञान]] प्राप्ति के बाद]]
[[जैन ग्रंथ]]ो के अनुसार लगभग १०००1,000 वर्षो तक तप करने के पश्चात ऋषभदेव को केवल ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। ऋषभदेव भगवान के समवशरण में निम्नलिखित व्रती थे :{{sfn|Champat Rai Jain|2008|p=126-127}}
*८४84 गणधर
*२२22 हजार [[केवली]]
*१२12,७००700 मुनि मन: पर्ययज्ञान ज्ञान से विभूषित {{sfn|Champat Rai Jain|2008|p=126}}
*9,०००000 मुनि अवधी ज्ञान से
*4,७५०750 श्रुत केवली
*२०20,६००600 ऋद्धि धारी मुनि
*350,५०,०००000 आर्यिका माता जी {{sfn|Champat Rai Jain|2008|p=127}}
*300,००,०००000 श्रावक
 
== हिन्दु ग्रन्थों में वर्णन ==