"पुष्पिका": अवतरणों में अंतर

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==परिचय==
'''पुष्पिका''' का परिचय देते हुए डॉ॰ हरिशंकर शर्मा 'हरीश' ''पाठविज्ञान में पारिभाषिक शब्द और उनका विश्लेषणात्मक अध्ययन'' नामक लेख में लिखते हैं कि-"भारतीय हस्तलिखित ग्रन्थों, पुस्तकों तथा पोथियों में यह परम्परा रही है कि ग्रन्थ की समाप्ति पर तिथि, संवत्, दिन, प्रतिलिपिकार का नाम, स्थान तथा अन्य विवेचन का परिचय दिया जाये। इस विवेचन का नाम ही पुष्पिका है।"<ref>{{cite book |author1=डॉ. हरिशंकर शर्मा 'हरीश' |authorlink1=पाठविज्ञान में पारिभाषिक शब्द और उनका विश्लेषणात्मक अध्ययन |editor1-last=गुप्त |editor1-first=डॉ. उमाकान्त |editor2-last=जोशी |editor2-first=डॉ. ब्रजरतन |title=अनुसंधान : स्वरूप और आयाम |date=2016 |publisher=वाणी प्रकाशन |location=नयी दिल्ली |isbn=978-93-5072-845-1 |page=213 |accessdate=1 सितम्बर 2021}}</ref>
 
==संदर्भ==