"सेंगर": अवतरणों में अंतर

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'''सेंगर''' अथवा '''संघर''' [[राजपूत]] जाति का एक गोत्र है। राजपूतों की उत्पत्ति के बारे में कहा है कि जब राजा, उनकी विवाहित पत्नियों से संतुष्ट नहीं होते थे, अक्सर उनकी महिला दासियो द्वारा बच्चे पैदा करते थे, जो सिंहासन के लिए वैध रूप से जायज़ उत्तराधिकारी तो नहीं होते थे, लेकिन राजपूत या राजाओं के पुत्र कहलाते थे।
सेंगर एक भारतीय उपजाति अथवा गोत्र समुदाय है जो राजपूत वंश के अंतर्गत आता है। वर्तमान में इस समुदाय के लोग मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के इटावा जनपद और आसपास के क्षेत्रों में निवास करते हैं जहाँ इनके नाम पर सेंगर नदी है; दूसरा प्रमुख क्षेत्र उत्तर प्रदेश का बलिया जिला और इसके आसपास के जिले तथा सटे हुए बिहार के इलाके हैं जहाँ लखनेसर नामक स्थान इनका प्रमुख केंद्र था।[2] इटावा क्षेत्र में राजपूत आबादी बसाने का श्रेय सेंगर वंश को दिया जाता है।[3] यहाँ विधूना तहसील में इनकी काफ़ी संख्या में आबादी है।[4] बलिया जनपद के अलावा आसपास के जिलों, मऊ आजमगढ़ इत्यादि में इनकी आबादी प्रमुख रूप से है।[5] इस कारण से फतेहपुर,
 
सेंगर नामोत्पत्ति के बारे में एक मत के अनुसार माना जाता है कि ये राम की बहन शांता और श्रृंग ऋषि के वंशज हैं, जिन्हें श्रृंगवंशीय कहा जाता है।[6] श्रृंग्वेरपुर में किए गए उत्खनन कार्यों ने श्रृंगी ऋषि के मंदिर का पता चला है। श्रृंगवेरपुर का पूर्व का नाम "श्रेंगेरा" था जिससे कि सेंगर नाम की उत्पत्ति हुई है। यह व्यापक रूप से माना जाता है कि गॉंव का नाम उन ऋषि से ही मिला है। मुुगल काल के समाप्ति के दौरान वहा वाश करने वाले विभिन्न वंश के क्षत्रियों मुख्यता (सेंंगर व रोर वंश) के क्षत्रियोंओं द्वारा अराजक ताकतों का सामना करने के लिए सिंगरौर समूह बनाया गया था  उन्हीं सिंगरौर समूह के क्षत्रिय के नाम पर तत्कालीन नाम सिंगरौर रखा गया है | इसी कारण से प्रयागराज मंडल के फतेहपुर, कौशांबी, इलाहाबाद तथा मध्य प्रदेश के रीवा ,सतना आदि जगह पे रहने वाले सेंगर व अन्य क्षत्रिय को सिंगरौर भी कहा जाता है| रामायण उल्लेख है कि भगवान राम, उनके भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता, निर्वासन पर जंगल जाने से पहले गांव में एक रात तक रहे। ऐसा कहा जाता है कि नावकों ने उन्हें गंगा नदी पार करने से इनकार कर दिया था तब निशादराज ने खुद उस स्थल का दौरा किया जहां भगवान राम इस मुद्दे को सुलझाने में लगे थे। उन्होंने उन्हें रास्ता देने की पेशकश की अगर भगवान राम उन्हें अपना पैर धोने दें, राम ने अनुमति दी और इसका भी उल्लेख है कि निशादराज ने गंगा जल से राम के पैरों को धोया और उनके प्रति अपना श्रद्धा दिखाने के लिए जल पिया। जबकि अन्य मतानुसार ये चन्द्रवंशीय राजा विकर्ण के वंशज हैं जिन्हें शातकर्णि कहा जाता था और इसी से सेंगर शब्द की उत्पत्ति हुई।[कृपया उद्धरण जोड़ें]
सेंगरो की उत्पत्ति भी अन्य राजपूत कुलो के समान ही विवादित हैं। कुछ विद्वान इन्हे विदेशी तो कुछ भारतीय आदिवासियों के वंशज मानते हैं।
 
==सन्दर्भ==
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<!-- <ref name="Jain1993">{{cite book|author=Ajit Kumar Jain|title=Marketing in an Agricultural Region: A Geographical Study of Periodic Markets in Vidisha Plateau, Madhya Pradesh|url=https://books.google.com/books?id=u0t-gfPcjKoC&pg=PA12|year=1993|publisher=Northern Book Centre|isbn=978-81-7211-034-5|pages=12–}}</ref>-->
 
[[श्रेणी:राजपूत गोत्र]]
"https://hi.wikipedia.org/wiki/सेंगर" से प्राप्त