"कर्म योग": अवतरणों में अंतर

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'''कर्म योग''' अर्थात कर्म में लीन होना। ''योगा कर्मो किशलयाम'', योग: कर्मसु कौशलम्।
 
== कर्मयोग क्या है ? ==
वास्तव में कर्मयोग ही वह योग है जिसके माध्यम से हम अपनी जीवात्मा से जुड़ पाते हैं। कर्मयोग हमारे आत्मज्ञान को जागृत करता है। इसके बाद हम न केवल अपने वर्तमान जीवन के उद्देश्यों को बल्कि जीवन के बाद की अपनी गति का पूर्वाभास प्राप्त कर सकते हैं।<ref>{{Cite web|url=https://www.punjabkesari.in/dharm/news/significance-of-karmayoga-997465|title=कर्मयोग क्या है?|last=|first=|date=|website=पंजाब केसरी|archive-url=|archive-date=|dead-url=|access-date=}}</ref>
 
इस योग में कर्म के द्वारा ईश्वर की प्राप्ति की जाती है। श्रीमद्भगवद्गीता में कर्मयोग को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। गृहस्थ और कर्मठ व्यक्ति के लिए यह योग अधिक उपयुक्त है। हममें से प्रत्येक किसी न किसी कार्य में लगा हुआ है, पर हममें से अधिकांश अपनी शक्तियों का अधिकतर भाग व्यर्थ खो देते हैं; क्योंकि हम कर्म के रहस्य को नहीं जानते। जीवन के लिए, समाज के लिए, देश के लिए, विश्व के लिए कर्म करना आवश्यक है।