"गोपबंधु दास": अवतरणों में अंतर

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== साहित्यिक कृतियाँ ==
बचपन से ही गोपबन्धु में कवित्व का लक्षण स्पष्ट भाव से देखा गया था। स्कूल में पढ़ते समय ही ये सुन्दर कविताएँ लिखा करते थे। सरल और मर्मस्पर्शी भाषा में कविता लिखने की शैली उनसे ही आम्रभ हुई। [[ओड़िया साहित्य]] में वे एक नए युग के स्रष्टा हुए, उसी युग का नाम "सत्यवादी युग" है। सरलता और राष्ट्रीयता इस युग की विशेषताएँ हैं। "अवकाश चिंता", "बंदीर आत्मकथा" और "धर्मपद" प्रभृति पुस्तकों में से प्रत्येक ग्रंथ एक एक उज्वल मणि है। "बंदीर आत्मकथा" जिस भाषा और शैली में लिखी गई है, उड़ियाभाषीओड़िया भाषी उसे पढ़ते ही राष्ट्रीयता के भाव से अनुप्राणित हो उठते हैं। "धर्मपद" पुस्तक में "[[कोणार्क]]" मंदिर के निर्माण पर लिखे गए वर्णन को पढ़कर उड़ियाओड़िया लोग विशेष गौरव का अनुभव करते हैं। यद्यपि ये सब छोटी छोटी पुस्तकें हैं, तथापि इनका प्रभाव अनेक बृहत् काव्यों से भी अधिक है।
 
== बाहरी कड़ियाँ ==