"वाष्पोत्सर्जन": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Tomato leaf stomate 1-color.jpg|thumb|[[टमाटर]] की पत्तियों में उपस्थित [[स्टोमेटा]] का [[इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी]] की सहायता से खींचा गया चित्र]]
[[पौधों]] द्वारा अनावश्यक [[जल]] को [[वाष्प]] के रूप में शरीर से बाहर निकालने की क्रिया को '''वाष्पोत्सर्जन''' कहा जाता है। पैड़-पौधे मिट्टी से जिस जल का अवशोषण करते हैं, उसके केवल थोड़े से अंश का ही पादप शरीर में उपयोग होता है। शेष अधिकांश जल पौधों द्वारा वाष्प के रूप में शरीर से बाहर निकाल जाता है। पौधों में होने वाली यह क्रिया वाष्पोत्सर्जन कहलाती है। वाष्पोत्सर्जन की दर को एक यन्त्र द्वारा मापा जा सकता है। इस यन्त्र को पोटोमीटर कहते हैं।
<ref>{{cite book |last=त्रिपाठी |first=नरेन्द्र नाथ |title= सरल जीवन विज्ञान, भाग-२|year=मार्च २००४ |publisher=शेखर प्रकाशन |location=कोलकाता |id= |page=८६-८७ |access-date= १७ सितंबर २००९}}</ref> जल, खनिज विलेय के साथ मूल रोम से होकर शुद्ध रूप से विसरण प्रक्रिया के द्वारा [https://91biology.blogspot.com/2021/09/how-do-plants-absorb-water.html अवशोषित] किया जाता है। एक बार जब मूल रोम द्वारा जल अवशोषित कर लिया जाता है
 
तब वह जड़ों की गहरी पर्तों में दो भिन्न पथों से गति करता हैं:
 
== सन्दर्भ ==