"मिहिर भोज": अवतरणों में अंतर
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[[File:Statue of Gurjar Samraat Mihir Bhoj Mahaan in Bharat Upvan ofAkshardham Mandir New Delhi.jpg|thumb|हिन्दू सम्राट मिहिर भोज प्रतिहार ]]
'''मिहिर भोज
<ref>{{cite book|title=The History of the Gurjara-Prathihara
|author=Braj Nath Puri
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==राज्यकाल==
मिहिर भोज ने 836 ईस्वीं से 885 ईस्वीं तक 49 साल तक राज किया। मिहिरभोज के साम्राज्य का विस्तार आज के [[मुल्तान|मुलतान]] से [[पश्चिम बंगाल]] तक और [[कश्मीर]] से [[कर्नाटक]] तक फैला हुआ था। ये धर्म रक्षक सम्राट शिव के परम भक्त थे। स्कंध पुराण के प्रभास खंड में सम्राट मिहिर भोज
| title =History of Ancient India: Earliest Times to 1000 A. D.
| author = Radhey Shyam Chaurasia
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915 ईस्वीं में भारत आए बगदाद के इतिहासकार अल-मसूदी ने अपनी किताब मरूजुल जुहाब मेें भी मिहिर भोज की 36 लाख सेनिको की पराक्रमी सेना के बारे में लिखा है। इनकी राजशाही का निशान “वराह” था और मुस्लिम आक्रमणकारियों के मन में इतनी भय थी कि वे वराह यानि [[सूअर]] से नफरत करते थे। मिहिर भोज की सेना में सभी वर्ग एवं जातियों के लोगो ने राष्ट्र की रक्षा के लिए हथियार उठाये और इस्लामिक आक्रान्ताओं से लड़ाईयाँ लड़ी। मुस्लिम आक्रमणकारी मिहिर भोज के केवल नाम लेने मात्र से थर-थर कांपा करते थे |
मिहिर भोज
सम्राट मिहिर भोज नही चाहते थे कि अरब इन दो स्थानों पर भी सुरक्षित रहें और आगे संकट का कारण बने, इसलिए उसने कई बड़े सैनिक अभियान भेज कर इमरान बिन मूसा के अनमहफूज नामक जगह को जीत कर अपने प्रतिहार साम्राज्य की पश्चिमी सीमाएं [[सिन्धु नदी|सिन्ध नदी]] से सैंकड़ों मील पश्चिम तक पहुंचा दी, और इसी प्रकार भारत को अगली शताब्दियों तक अरबों के बर्बर, धर्मान्ध तथा अत्याचारी आक्रमणों से सुरक्षित कर दिया था। इस तरह सम्राट मिहिरभोज के राज्य की सीमाएं [[काबुल]] से [[राँची]] व [[असम]] तक, [[हिमालय]] से [[नर्मदा नदी]] व [[आन्ध्र प्रदेश|आन्ध्र]] तक, [[काठियावाड़]] से [[बंगाल]] तक, सुदृढ़ तथा सुरक्षित थी।<ref name="ज़ी हिंदुस्तान वेब टीम">{{Cite web|date=May 12, 2020|title= हिन्दू सम्राट मिहिर भोज की गौरवशाली दास्तान, इस्लामी आक्रांताओं को नहीं रखने दिया भारत में कदम|url=https://zeenews.india.com/hindi/zee-hindustan/pride-of-india/great-emperor-of-india-mihir-bhoja-whose-fear-of-the-army-of-millions-the-muslim-invaders-did-not-set-foot-in-india/649376}}</ref>
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# [[गुर्जर प्रतिहार राजवंश#cite%20ref-3|↑]] P C Bagchi, India and Central Asia, Calcutta, 1965
# [[गुर्जर प्रतिहार राजवंश#cite%20ref-4|↑]] K. M. Munshi, The Glory That Was Gurjara Desha (A.D. 550-1300), Bombay, 1955
# [[गुर्जर प्रतिहार राजवंश#cite%20ref-5|↑]] V. A. Smith, The Pratihars of Rajputana and Kanauj, Journal of the Royal Asiatic Society of Great Britain and Ireland, (Jan., 1909), pp.53-75
# [[गुर्जर प्रतिहार राजवंश#cite%20ref-6|↑]] V A Smith, The Oford History of India, IV Edition, Delhi, 1990
# [[गुर्जर प्रतिहार राजवंश#cite%20ref-7|↑]] एपिक इण्डिया खण्ड १२, पेज १९७ से
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