"गणेश चतुर्थी": अवतरणों में अंतर

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एक बार महादेवजी स्नान करने के लिए भोगावती गए। उनके जाने के पश्चात पार्वती ने अपने तन के मैल से एक पुतला बनाया और उसका नाम 'गणेश' रखा। पार्वती ने उससे कहा- हे पुत्र! तुम एक मुगदल लेकर द्वार पर बैठ जाओ। मैं भीतर जाकर स्नान कर रही हूँ। जब तक मैं स्नान न कर लूं, तब तक तुम किसी भी पुरुष को भीतर मत आने देना।<ref>{{Cite web|url=https://www.jagran.com/spiritual/religion-ganesh-chaturthi-2020-history-significance-and-importance-20642769.html|title=Ganesh Chaturthi 2020 Significance: विघ्नहर्ता श्री गणेश हरते हैं भक्तों के संकट, जानें गणेश चतुर्थीं का महत्व और इतिहास|website=Dainik Jagran|language=hi|access-date=2020-08-21}}</ref>
 
भोगावती में स्नान करने के बाद जब भगवान शिवजी आए तो गणेश जी ने उन्हें द्वार पर रोक लिया। इसे शिवजी ने अपना अपमान समझा और क्रोधित होकर उनका सिर धड़ से अलग करके भीतर चले गए। पार्वती ने उन्हें नाराज देखकर समझा कि भोजन में विलंब होने के कारण महादेवजी नाराज हैं। इसलिए उन्होंने तत्काल दो थालियों में भोजन परोसकर शिवजी को बुलाया। तब दूसरा थाल देखकर तनिक आश्चर्यचकित होकर शिवजी ने पूछा- यह दूसरा थाल किसके लिए हैं? पार्वती जी बोलीं- पुत्र गणेश के लिए हैं, जो बाहर द्वार पर पहरा दे रहा है।
 
यह सुनकर शिवजी और अधिक आश्चर्यचकित हुए। तुम्हारा पुत्र पहरा दे रहा है? हाँ नाथ! क्या आपने उसे देखा नहीं? देखा तो था, किन्तु मैंने तो अपने रोके जाने पर उसे कोई उद्दण्ड बालक समझकर उसका सिर काट दिया। यह सुनकर पार्वती जी बहुत दुःखी हुईं। वे विलाप करने लगीं। तब पार्वती जी को प्रसन्न करने के लिए भगवान शिव ने एक हाथी के बच्चे का सिर काटकर बालक के धड़ से जोड़ दिया। पार्वती जी इस प्रकार पुत्र गणेश को पाकर बहुत प्रसन्न हुई। उन्होंने पति तथा पुत्र को प्रीतिपूर्वक भोजन कराकर बाद में स्वयं भोजन किया।<ref>{{Cite web|url=https://khabar.ndtv.com/news/faith/why-does-lord-ganesha-have-an-elephant-head-where-is-ganesha-head-patal-bhuvaneshwar-1772206|title=कटने के बाद आखिर कहां गिरा भगवान गणेश का सिर?|website=NDTVIndia|access-date=2020-08-21}}</ref> यह घटना भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को हुई थी। इसीलिए यह तिथि पुण्य पर्व के रूप में मनाई जाती है।<ref>{{Cite web|url=https://www.indiatv.in/lifestyle/religion-ganesh-chaturthi-2020-know-why-do-we-celebrate-ganesh-chaturthi-celebrations-734924|title=Ganesh Chaturthi 2020: इस कारण हर साल मनाई जाती है गणेश चतुर्थी|last=Shivanisingh|date=2020-08-20|website=India TV Hindi|language=hi|access-date=2020-08-21}}</ref>
तब दूसरा थाल देखकर तनिक आश्चर्यचकित होकर शिवजी ने पूछा- यह दूसरा थाल किसके लिए हैं? पार्वती जी बोलीं- पुत्र गणेश के लिए हैं, जो बाहर द्वार पर पहरा दे रहा है।
 
यह सुनकर शिवजी और अधिक आश्चर्यचकित हुए। तुम्हारा पुत्र पहरा दे रहा है? हाँ नाथ! क्या आपने उसे देखा नहीं? देखा तो था, किन्तु मैंने तो अपने रोके जाने पर उसे कोई उद्दण्ड बालक समझकर उसका सिर काट दिया। यह सुनकर पार्वती जी बहुत दुःखी हुईं। वे विलाप करने लगीं। तब पार्वती जी को प्रसन्न करने के लिए भगवान शिव ने एक हाथी के बच्चे का सिर काटकर बालक के धड़ से जोड़ दिया। पार्वती जी इस प्रकार पुत्र गणेश को पाकर बहुत प्रसन्न हुई। उन्होंने पति तथा पुत्र को प्रीतिपूर्वक भोजन कराकर बाद में स्वयं भोजन किया।<ref>{{Cite web|url=https://khabar.ndtv.com/news/faith/why-does-lord-ganesha-have-an-elephant-head-where-is-ganesha-head-patal-bhuvaneshwar-1772206|title=कटने के बाद आखिर कहां गिरा भगवान गणेश का सिर?|website=NDTVIndia|access-date=2020-08-21}}</ref>
 
यह घटना भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को हुई थी। इसीलिए यह तिथि पुण्य पर्व के रूप में मनाई जाती है।<ref>{{Cite web|url=https://www.indiatv.in/lifestyle/religion-ganesh-chaturthi-2020-know-why-do-we-celebrate-ganesh-chaturthi-celebrations-734924|title=Ganesh Chaturthi 2020: इस कारण हर साल मनाई जाती है गणेश चतुर्थी|last=Shivanisingh|date=2020-08-20|website=India TV Hindi|language=hi|access-date=2020-08-21}}</ref>
 
== व्रत ==