"केशवदास": अवतरणों में अंतर

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== जीवन परिचय ==
 
आचार्य केशवदास का जन्म 15551560 ईस्वी में [[ओरछा]] में हुआ था। वे जिझौतिया ब्राह्मण थे। उनके पिता का नाम काशीनाथ था। ओरछा के राजदरबार में उनके परिवार का बड़ा मान था। केशवदास स्वयं ओरछा नरेश महाराज रामसिंह के भाई इन्द्रजीत सिंह के दरबारी कवि, मन्त्री और गुरु थे। इन्द्रजीत सिंह की ओर से इन्हें इक्कीस गाँव मिले हुए थे। वे आत्मसम्मान के साथ विलासमय जीवन व्यतीत करते थे।<ref>{{cite web |url=http://www.gutenberg.org/files/11924/11924-h/11924-h.htm#CH_V_iv |title=The Project Gutenberg eBook The Loves of Krishna, by W .G. Archer |publisher=Gutenberg.org |date=2004-04-06 |accessdate=2012-09-19 |archive-url=https://web.archive.org/web/20131103132850/http://www.gutenberg.org/files/11924/11924-h/11924-h.htm#CH_V_iv |archive-date=3 नवंबर 2013 |url-status=live }}</ref>
 
केशवदास [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] के उद्भट विद्वान थे। उनके कुल में भी संस्कृत का ही प्रचार था। नौकर-चाकर भी संस्कृत बोलते थे। उनके कुल में भी संस्कृत छोड़ हिंदी भाषा में कविता करना उन्हें कुछ अपमानजनक-सा लगा -
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संवत 1608 के लगभग जहांगीर ने ओरछा का राज्य वीर सिंह देव को दे दिया। केशव कुछ समय तक वीर सिंह के दरबार में रहे, फिर गंगातट पर चले गए और वहीं रहने लगे।
 
16181617 ईस्वी में उनका देहावसान हो गया।
 
== रचनाएं ==