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'''भारतीय क्रांति दल''' [[भारत]] का एक राजनैतिक दल था जिसकी स्थापना १९६७ में [[चौधरी कुम्भाराम आर्य]] , [[चौधरी चरण सिंह]] ने की थी। सन १९७७ के आम चुनावों के बाद यह दल [[जनता पार्टी]] में विलय कर दिया गया।
1966 में राजस्थान के किसान नेता चौधरी कुंभाराम आर्य राजस्थान व मुख्यमंत्री मोहन लाल सुखाड़िया से [[भूमि सुधार कानून]], [[पंचायती राज]], व [[सहकरिक्ता]] के सबंध में गंभीर मतभेद उतपन्न होने के बाद 27 दिसम्बर 1966 में कांग्रेस पार्टी के सभी पदों व मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। उत्तरप्रदेश में चौधरी चरणसिंह कांग्रेस से वर्ष 1967 में अलग हो गए उसके बाद चौधरी कुम्भाराम आर्य व चौधरी चरण सिंह ने साथ मिलकर भारतीय क्रांति दल की स्थापना की थी चौधरी चरणसिंहचरण सिंह को भारतीय क्रांति दल के [[ राष्ट्रीय अध्यक्ष]],चौधरी कुम्भाराम आर्य [[राष्ट्रीय उपाध्यक्ष]] बने तथा, उसके बाद उत्तर प्रदेश एवं बिहार में भारतीय क्रांति दल अपनी सरकार बनाने में सफल रहा चौधरी चरण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने हेमवंती नंदन बहगुणा को कार्यकारी अध्यक्ष चुना गया तथा महामाया प्रसाद सिंह बिहार के मुख्यमंत्री बने, 1968 में चौधरी कुंभाराम आर्य भारतीय क्रांति दल के टिकट पर राज्यसभा सदस्य चुने गए राजस्थान से।
1975 में प्रधानमंत्री श्रीमती [[इंदिरागांधी]] ने देश में फैली अशांति व अराजकता से निपटने के लिए आपात स्थिति लागू कर दी। देश में [[आपातकाल (भारत)|आपातकाल]] की घोषणा के बाद देशभर के विरोधी दलों के नेता एवं कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया उसी समय भारतीय क्रांति दल के नेताओं को भी जेल में बंद कर दिए गया, उसके बाद 1977 में सभी गैर कांग्रेसी दलों ने मिलकर जनता पार्टी के नाम से साझा मोर्चा बनाया था,संयुक्त रूप से कांग्रेस के विरुद्ध चुनाव लड़ा जिसमें भारतीय क्रांतिदल का विलय जनता पार्टी में हो गया, जनसंघ, तथा अन्य दल भी शामिल थे।