"ताम्र": अवतरणों में अंतर

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ताम्बे के बर्तन में रखा पानी कितनी बार पीना लाभकारी होता है...
 
अमृतमपत्रिका, ग्वालियर से साभार-
 
सन्सार की पहली धातु धातु है तांबा, जिसमें जीवाणु या कीटाणु यानि बैक्टेरिया प्रतिरोधी गुण पाए जाते हैं। आज से 5000 साल पहले आयुर्वेदाचार्य, वैद्य, चिकित्सा में तांबे का बहुत उपयोग करते थे।
रसेन्द्र पुराण, भावप्रकाश और द्रव्यगुण विज्ञान में वर्णन है कि तांबे में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो कर्कट रोग यानि कैंसर के कारक फ्री रेडिकल्स और उसके दुष्प्रभाव को कम करने में सहायक हैं।
आयुर्वेद के 5000 वर्ष पुराने ग्रन्थों के अनुसार तांबा कोलेस्ट्रॉल एवं एक तरह का वसा यानि ट्रैगिलिसराइड्स के स्तर को सन्तुलित करता है।
 
तंदरुस्ती के लिए फ्री रेडिकल्स को जानना जरूरी है-
●~ ज्यादा जंक फूड, चाट, बाहरी स्वादिष्ट खाद-पदार्थ अत्यधिक मात्रा में खाने से, स्मोकिंग करने से, लंबे समय तक रसायनिक खुशबू जैसे-इत्र-स्प्रे इत्यादि तथा केमिकल के नजदीक रहने से भी शरीर के अंदर फ्री रेडिकल्स के बनने की प्रक्रिया बढ़ जाती है।
●~ फ्री रेडिकल्स को मुक्त कण कोशिकाएं भी कहते हैं। देह में एकल कोशिकाएं होती हैं, जो युग्म बनाने की भरपूर प्रयास करती हैं। शरीर की अन्य कोशिकाओं की तुलना में ये कहीं अधिक आक्रामक होने से युग्म बनाने की कोशिश के दौरान ये लगातार शरीर की अन्य स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने लगती हैं।
●~ फ्री रेडिकल्स के निर्माण की प्रक्रिया प्राकृतिक है। भोजन पाचन के समय जब उदर में विघटन की क्रिया होती है, तो इन मुक्त कणों अर्थात फ्री रेडिकल्स का उत्पादन होता है। आप इन्हें पाचन के दौरान निकलनेवाले अपशिष्ट भी कह सकते हैं।
●~ तांबे में मेलानिन मौजूद होता है, जी हमारे चेहरे की स्किन को सूर्य विकिरणों के होने वाली हानि से बचाता है।
●~ ताम्बे (कॉपर) के पात्र का पानी ग्रन्थिशोथ अर्थात थायराइड ग्रन्थि के नियमित कार्य करने हेतु सुरक्षित होता है। तांबा रक्त की वृद्धि भी करता है। तांबा शरीर के अतिरिक्त लौह कण (आयरन) को अवशोषित कर एनीमिया यानी खून की कमी को नहीं होने देता।
●~ ताम्बे में सूजन नाशक तत्व या एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रोपर्टी जोड़ो के दर्द, अनेक वात विकार से राहतकारी हैं।
●~ तांबा वजन घटाने में कारगर है। ताम्बे के बर्तन का जल शरीर की एक्स्ट्रा चर्बी को पनपने नहीं देता।
●~ प्राचीन भारत में अधिकतर परिवारों में जल ग्रहण हेतु केवल ताम्रपात्र उपयोग करते थे, जिससे बुढ़ापे लक्षण नहीं आते थे। ताम्बे का पानी बढ़ती आयु के त्वचा पर होने वाले दुष्प्रभाव को रोकता है।
●~ पहले के राजा-महाराजा ताम्रपत्र पर लिखकर ही कोई जमीन या वस्तु दान करते थे। यह तामपत्र गवाह के रूप में काम आता था।
●~ आजकल अनेकों आयुर्वेदक सौंदर्य उत्पादों में तांबे के साथ साथ सभी सप्तधातुओं का उपयोग किया जा रहा है।
रसेन्द्र पुराण नामक संस्कृत भाषा का यह ग्रंथ राज्यवेद्य वेद्यरत्न, पण्डित रामप्रसाद द्वारा रचित है, जो सम्वत 1986 में लगभग 90 साल पहले प्रकाशित हुआ था। इस अनमोल किताब में तांबा, सोना, पारद, शीशा आदि सभी धातुओं के बारे में विस्तार से लिखा है।
एक पुरानी पुस्तक में ताम्र के बारे में पढ़ें-
 
 
 
ताम्र भस्म के गुणकारी प्रयोग…
●~ ताम्र भस्म के सेवन से असँख्य असाध्य रोगों का नाश होता है। विशेषकर त्वचा की खराबी, फोड़े-फुंसी, कर्कट व्याधि, और खून की शुद्धि के लिए ताम्र भस्म अमृतम मधु पंचामृत के साथ एक से दो महीने सेवन की जाती है।
 
 
●~ ताम्र भस्म रक्त कोशिकाओं में मौजूद प्लाक को हटाकर खून के संचार में वृद्धि करता है। दांतों या मसूढों में जमी गन्दगी तथा जीवाणुओं को हटाने-मिटाने के लिए ताम्र भस्म से मंजन करना चाहिए।
●~ अगर आप चाहें, तो अमृतम द्वारा निर्मित डेंटकी मंजन एवं माल्ट का भी उपयोग कर सकते हैं। यह दिल सम्बन्धी रोगों को बचाने में सहायक है।
●~ तांबा शरीर को डिटॉक्सीफाई करता है। लेकिन अति सर्वत्र वर्जते इतना भी ध्यान रखें। ताम्बे के जल का अधिक उपयोग से अंगों पर दुष्प्रभाव पड़ता है।
●~ द्रव्यगुण ग्रन्थ के मुताबिक सुबह उठते ही केवल एक बार 3 से 4 गिलास पानी ताम्बे के बर्तन का पियें। हमेशा ताम्बे का जल लेने से नुकसान भी हो सकता है।
●~ ताम्बे के पात्रों यानी बर्तनों का उपयोग पूजा आदि में करने की विशेष परम्परा है। तांबा एक अत्यंत शुभ धातु है। सेहतमंद बनाये रखने में तांबा बहुत गुणी है।
●~ताम्बे की गिनती स्वर्ण के साथ सप्तधातुओं में भी की जाती है।
 
ये सावधानी भी बरतें…
ताम्बे के बर्तन में कभी दूध-दही, निम्बू का पानी डालकर या रखकर उपयोग न करें।
सात प्रकार की धातु क्या हैं?…
【1】स्वर्ण यानी सोना
【2】रजत, रौप्य यानि चांदी
【3】तांबा या ताम्र
【4】राँगा
【5】जसद
【6】सीसा वंग
【7】लोहा
तांबा एक तन्य धातु है जिसका प्रयोग विद्युत के चालक के रूप में प्रधानता से किया जाता है। ताम्बे के बर्तन में गर्म पानी करके न पिएं।
ताम्बे के बर्तन को नीबू के रस, खट्टे दही का पानी, किसी भी डेन्ट मंजन, सोड़ा या मिट्टी से मांजकर साफ किया जा सकता है।
**सावधान इंडिया….**
आजकल एलोपैथी कम्पनियों के कुछ लेखक, ब्लॉगर बहुत गलत एवं भ्रमित करने वाली जानकारी फैला रहे हैं। ताकि लोग बीमार होकर डॉक्टर के पास जाएं। हमें इन सब जानकारियों पर बिना सन्दर्भ ग्रन्थ के भरोसे नहीं करना चाहिए।
आयुर्वेद के लगभग 2000 से अधिक 5000 साल प्रसहिं ग्रन्थ-भाष्य, उपनिषद दुनिया में उपलब्ध हैं। इन पुस्तकों में दुनिया के हर खाद्य-पदार्थ, जड़ीबूटियों, धातु, रस-भस्मों की जानकारियां विस्तार से बताई गईं है।
वर्तमान लेखक मनमर्जी से बहुत सा ज्ञान मनगढ़ंत दे रहे हैं। अतः इनसे हमें सावधान रहना जरूरी है। ऐसी ही एक साजिश के तहत गर्म पानी पीने का जाल फैलाया गया है।
भारत के लोग सीधे-सच्चे, भावुक होने के कारण किसी भी बात पर जल्दी भरोसा कर लेते हैं।
गर्म पानी की यह परम्परा अभी 10–5 सालों से जानबूझकर शुरू करवाई गई है, ताकि लोग अधिक से अधिक बीमार हों और डॉक्टर की शरण में जाकर अपनी जान-जायदाद बर्बाद कर सकें।
गूगल आदि शोशल मीडिया पर शहद के इतने फायदे लिख दिए, जितने है नहीं। मधुमेह के बिना ग्रन्थ व सन्दर्भ के अनेक उल्टे सीधे इलाज ने लोगों की डाइबिटीज ओर बढ़ा दी।
**प्रातः गर्म पानी पीने से बचें…**
सुबह उठते ही गर्म या गुनगुना पानी पीने से जोड़ों का लुब्रिकेंट या चिकनाहट कम होने लगती है। गर्म जल भविष्य में कमरदर्द, जोड़ों, पिंडलियों, का दर्द शुरू हो जाता है।
**करेला और नीम चढ़ा वाली बात** जब होती है कि सुबह ही पानी में नीबू का रस मिलाकर लेते हैं। थायराइड और युवा पीढ़ी में नपुंसकता की समस्या इसी वजह से बढ़ रही है।
एक दिन में एक नीबू से अधिक रस सेवन नहीं करना चाहिए। हल्दी की मात्रा एक दिन में आधा ग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए।
प्राचीन काल के पुराने लोग जल जैसी चीज का उपयोग जैसे का तैसा ही करते थे। जिस प्रकार धरती मां या प्रकृति ने हमें प्रदान किया है।
 
{{ज्ञानसन्दूक तत्व|
Catalan=Coure|
"https://hi.wikipedia.org/wiki/ताम्र" से प्राप्त