"वाक्यपदीय": अवतरणों में अंतर
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'''वाक्यपदीय''', [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] [[व्याकरण]] का एक प्रसिद्ध ग्रंथ है। इसे '''त्रिकाण्डी''' भी कहते हैं। वाक्यपदीय, व्याकरण शृंखला का मुख्य दार्शनिक ग्रन्थ है। इसके रचयिता [[नीतिशतकम्|नीतिशतक]] के रचयिता महावैयाकरण तथा योगिराज
इसका प्रथम काण्ड '''ब्रह्मकाण्ड''' है जिसमें '''शब्द''' की प्रकृति की व्याख्या की गयी है। इसमें शब्द को '''ब्रह्म''' माना गया है और ब्रह्म की प्राप्ति के लिये शब्द को प्रमुख साधन बताया गया है।
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