"नेहरु-लियाक़त समझौता": अवतरणों में अंतर

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पंक्ति 1:
{{ज्ञानसन्दूक संधि|
|location_signed=[[नई दिल्ली]], [[भारत]]
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|condition_effective=दोनों पक्षों द्वारा संपुष्टिसम्पुष्टि
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|date_drafted=2 अप्रैल 1950
|type=अधिकारों की रक्षा करने को लेकर आपसी समझ
|caption=भारत और पाकिस्तान दिखतादिखाता मानचित्र
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'''नेहरु-लियाक़तलियाकत समझौता''' (या '''दिल्ली पैक्ट''' ) [[भारत का विभाजन|भारत के विभाजन]]<ref>{{Cite book|title=India Since Independence|vauthors=Bipan C, Mridula M, Aditya M|isbn=8184750536}}</ref> के बाद [[भारत]] और [[पाकिस्तान]] के बीच हुई एक [[संविदा|द्विपक्षीय]] संधिसन्धि थी।
इस समझौते के तहतअन्तर्गत :
 
# शरणार्थी अपनी संपत्तिसम्पत्ति का निपटान करने के लिए भारत-पाकिस्तान आ जा सकते थे।
# अगवाअपहरण की गईगयी महिलाओं और लूटी गईगयी संपत्तिसम्पत्ति को वापस किया जाना था।
# जबरनबलपूर्वक धर्मातरणमतान्तरण को मान्यता नहीं दी गईगयी थी।
# दोनों देशों ने अपने-अपने देश में अल्पसंख्यक आयोग गठित किए।किये।<ref name=":0">{{Cite news|url=https://www.jagran.com/politics/national-know-what-was-the-nehru-liaquat-agreement-whose-failure-results-in-citizenship-law-19832840.html|title=जानिए क्‍या था नेहरू-लियाकत समझौता, जिसकी विफलता का परिणाम है नागरिकता कानून|last=|first=|date=|work=|access-date=|archive-url=https://web.archive.org/web/20191212035934/https://www.jagran.com/politics/national-know-what-was-the-nehru-liaquat-agreement-whose-failure-results-in-citizenship-law-19832840.html|archive-date=12 दिसंबर 2019|url-status=live}}</ref>
 
संधिसन्धि पर [[नई दिल्ली]] में [[भारत का प्रधानमन्त्री|भारत के प्रधानमंत्री]] [[जवाहरलाल नेहरू]] और [[पाकिस्तान के प्रधानमंत्री|पाकिस्तान के प्रधान मंत्री]] [[लियाक़त अली ख़ान]] के द्वारा 8 अप्रैल, 1950 को हस्ताक्षर किए गए। यह संधिसन्धि [[भारत का विभाजन|भारत]] के [[भारत का विभाजन|विभाजन के]] बाद दोनों देशों में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की गारंटीगारण्टी देने और उनके बीच एक और युद्ध को रोकने के लिए की गई छह दिनों की वार्ता का परिणाम थी।
 
दोनों देशों में अल्पसंख्यक आयोग गठित किएकिये गए।गये। [[पूर्वी पाकिस्तान|भारत में पूर्वी पाकिस्तान]] (अब [[बांग्लादेश]] ) से [[पश्चिम बंगाल]] में दस लाख से अधिक शरणार्थी पलायन कर पहुँचे।
 
[[नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, २०१९]] को पारित करने से पहले हुई [[लोक सभा]] बहस में (नागरिकता संशोधन) विधेयक को सही ठहराते हुए [[गृह मंत्रालय, भारत सरकार|गृह मंत्रीमन्त्री]] [[अमित शाह]] ने इस समझौते का उल्लेख किया। उन्होंने नेहरू-लियाकत समझौते को इस संशोधन की वजह बताते हुए कहा, यदि पाकिस्तान द्वारा संधिसन्धि का पालन किया गया होता, तो इस विधेयक को लाने की कोई आवश्यकता नहीं होती।<ref name=":0" />
 
== विरोध<ref name=":0" /> ==