"हिन्दू धर्म का इतिहास": अवतरणों में अंतर

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{{See also|भारत में हिन्दू धर्म}}
{{हिन्दू धर्म सूचना मंजूषा}}
'''[[हिन्दू धर्म]]''' का [[इतिहास]] सबसे प्राचीन है।<ref>{{Cite book|url=https://books.google.co.in/books?id=w36BtAEACAAJ&dq=Hindu+ancientest+religion+in+world&hl=hi&sa=X&redir_esc=y|title=Hinduism Is the Oldest Religion in the World Because It Is the Religion of Djinns/Demons/Devils/Satan/Vampires!: Satan/Iblis/Lucifer/Azazel Revealed!|publisher=Ben Caesar|isbn=1973403579}}</ref><ref>{{Cite book|url=https://books.google.co.in/books?hl=hi&id=jFC2AAAAIAAJ&dq=%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%81%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B5+%E0%A4%B8%E0%A4%AC%E0%A4%B8%E0%A5%87+%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9A%E0%A5%80%E0%A4%A8+%E0%A4%B9%E0%A5%88&focus=searchwithinvolume&q=|title=हिंदुत्व का आह्वान|year=1965|pages=32}}</ref><ref>{{Cite book|url=https://books.google.co.in/books?id=4ww4AQAAMAAJ&q=the+celtic+druids+godfrey+higgins+isbn&dq=the+celtic+druids+godfrey+higgins+isbn&hl=hi&sa=X&ved=2ahUKEwiC3v6ZupLzAhVYAN4KHX65BjYQ6AF6BAgDEAM|title=The Celtic Druids|publisher=Godfrey Higgins|isbn=9781602066717}}</ref> इस धर्म को [[वेदकाल]] से भी पूर्व का माना जाता है, क्योंकि [[वैदिक सभ्यता|वैदिक काल]] और वेदों की रचना का काल अलग-अलग माना जाता है। यहां शताब्दियों से मौखिक (तु वेदस्य मुखं) परंपरा चलती रही, जिसके द्वारा इसका इतिहास व ग्रन्थ आगे बढ़ते रहे। उसके बाद इसे लिपिबद्ध (तु वेदस्य हस्तौ) करने का काल भी बहुत लंबा रहा है। हिन्दू धर्म के सर्वपूज्य ग्रन्थ हैं वेद। वेदों की रचना किसी एक काल में नहीं हुई। विद्वानों ने वेदों के रचनाकाल का आरंभ २००० ई.पू. से माना है। यानि यह धीरे-धीरे रचे गए और अंतत: पहले वेद को तीन भागों में संकलित किया गया- [[ऋग्वेद]], [[यजुर्वेद]] और [[सामवेद संहिता|सामवेद]] जि‍से '''वेदत्रयी''' कहा जाता था। कहीं कहीं ऋग्यजुस्सामछन्दांसि को वेद ग्रंथ से न जोड़ उसका छंद कहा गया है। मान्यता अनुसार वेद का वि‍भाजन [[राम]] के जन्‍म के पूर्व पुरुंरवा राजर्षि के समय में हुआ था। बाद में अथर्ववेद का संकलन ऋषि‍ अथर्वा द्वारा कि‍या गया। वहीं एक अन्य मान्यता अनुसार [[कृष्ण]] के समय में [[वेदव्यास|वेद व्यास]] कृष्णद्वैपायन ऋषि ने वेदों का विभाग कर उन्हें लिपिबद्ध किया था। मान्यतानुसार हर द्वापर युग में कोई न कोई मुनि व्यास बन वेदों को ४ भागों में बाटते हैं।
 
[[चित्र:Rigvedic geography.jpg|thumb|250px|left|[[ऋग्वेद]] का भूगोलीय क्षितिज (जिसमें [[ऋग्वेद काल की नदियां|नदियों के नाम]] एवं [[सीमेटरी एच]] दिये हैं। ये [[हिन्दु कुश|हिन्दूकुश]] और [[पंजाब क्षेत्र|पंजाब]] क्षेत्र से [[सिंधु-गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान|ऊपरी गांगेय क्षेत्र]] तक फैला हुआ था।]]