भारत में क्षत्रिय राजपूतों (ठाकुरों) को माना जाता है राजपूतों की जाति ही क्षत्रिय जाति होती हैं ,वर्ण व्यवस्था अब जातीय व्यवस्था में बदल चुकी है । इतिहासकार ओझा के अनुसार प्राचीन क्षत्रियों के वंशज ही राजपूत है ,प्राचीन काल में क्षत्रियों के लिए सदा ही राजपुत्र और राजन्य शब्द प्रयोग होता रहा है। मुगल काल में राजपुत्र का अपभ्रंश राजपूत हो गया और क्षत्रियों के वंशजों को राजपूत कहा जाने लगा है और धीरे धीरे प्राचीन काल की क्षत्रिय जात राजपूत नाम से जानी जाने लगी । तथा कुछ स्थानों पर इन्हें ठाकुर कहकर भी बुलाते हैं । क्षत्रिय राजपूत जाति में बहुत से महापुरुषों में जन्म लिया । भगवान राम सूर्यवंशी (रघुवंशी / इक्षवाकु) क्षत्रिय थे । सूर्यवंशी क्षत्रियों में राजपूतों (ठाकुरों) के 12 कुल व वंश आते हैं । तथा भगवान श्री कृष्ण ने चंद्रवंश के यदुवंशी क्षत्रियों में जन्म लिया । यदुवंशी क्षत्रियों में राजपूतों के 3 कुल व वंश आते हैं जो क्रमशः जड़ेजा , जादौन, भाटी हैं।
[[चित्र:Sri Rama Become king of Ayodhya.jpg|अंगूठाकार|250x250पिक्सेल|'''अयोध्या''' के '''राजा मर्यादा-पुरुषोत्तम राम''']]
[[चित्र:StandingBuddha.jpg|right|thumb|250px|[[गौतम बुद्ध]] का जन्म एक क्षत्रिय [[शाक्य]] कुल में हुआ था। ]]