"कारक": अवतरणों में अंतर
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[[पदविज्ञान|
▲[[पदविज्ञान|. रूपविज्ञान]] के सन्दर्भ में, किसी वाक्य, मुहावरा या वाक्यांश में [[संज्ञा]] या [[सर्वनाम]] का [[क्रिया]] के साथ उनके सम्बन्ध के अनुसार रूप बदलना '''कारक''' कहलाता है। अर्थात् व्याकरण में संज्ञा या सर्वनाम शब्द की वह अवस्था जिसके द्वारा वाक्य में उसका क्रिया के साथ संबंध प्रकट होता है उसे कारक कहते हैं।
संज्ञा या सर्वनाम का क्रिया से सम्बन्ध जिस रूप से जाना जाता है, उसे कारक कहते हैं। कारक यह इंगित करता है कि वाक्य में संज्ञा या सर्वनाम का काम क्या है। कारक कई रूपों में देखने को मिलता है
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'''कारक विभक्ति''' - संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों के कारक अनुसार रूप-परिवर्तन को कहते हैं।
== कारक के भेद
[[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] में 8 कारक होते थे। उन्हें नीचे देखा जा सकता है:
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जिसके लिए कोई कार्य किया जाए, उसे संप्रदान कारक कहते हैं। जैसे –
मैं दिनेश के लिए चाय बना रहा हूँ।
इस वाक्य में ‘दिनेश’ संप्रदान अवस्था में है,
▲अन्य उदाहरण - '''स्वास्थ्य के लिए''' सूर्य को नमस्कार करो।
▲इन दो वाक्यों में ‘स्वास्थ्य के लिए’और 'दिनेश के लिए' संप्रदान अवस्था में हैं।
=== अपादान कारक ===
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