"खटिक": अवतरणों में अंतर

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| official_website = www.khatiksamaj.net
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'''खटिक''', [[भारत]] में पायी जाने वाली एक [[जाति]] है। भारत में ये [[राजस्थान]], [[पंजाब]], [[हरियाणा]], [[उत्तर प्रदेश]], [[बिहार]], [[मध्य प्रदेश]], [[महाराष्ट्र]], [[पश्चिम बंगाल]] और [[गुजरात]] में पायी जाती है। भारत के अधिकांश खटिक [[हिन्दू]] हैं। खटिक जाति के उपजाति [[सोनकर]] भी कहां जाता हैं।इन्ही [[सोनकरो]] के कारण पूरे खटीक समाज को आज आरक्षण प्राप्त हैंहैं।
<ref>{{Cite web |url=http://www.peoplegroupsindia.com/profiles/khatik/ |title=संग्रहीत प्रति |access-date=15 सितंबर 2018 |archive-url=https://web.archive.org/web/20180907204453/http://www.peoplegroupsindia.com/profiles/khatik/ |archive-date=7 सितंबर 2018 |url-status=dead }}</ref>
 
खटिक जाति मूल रूप से वो जाति है, जिनका काम आदि काल में याज्ञिक पशु बलि देना होता था। आदि काल में यज्ञ में पशु(बकरा,भैसा)बकरे की बलि दी जाती थी। संस्कृत में इनके लिए शब्द है, ‘खटिटक’।
 
खटीक पहले वामामार्गी मन्दिरो में पशु बलि का कार्य करते थे। पुराणों में खटक ब्राह्मणों का उल्लेख है जो पशु बलि देते थे, जिनके हाथ से दी गयी बलि ही स्वीकार होती थी। खटीक शब्द खटक से बना है जिसकायानी अर्थजो खटका काटे यानी खटका मांस यानी एक झटके में सर काटने वाला होताखटीक हैं।हुआ। मुसलमान जबा यानी रेत कर गर्दन काटते थे और खटीक झटके से। दोनों एक दूसरे के विरोधी रहे। खटीक एक वीर जाति है। जो इस्लाम कबूल नही की, और मुसलमानो आक्रमणकारियों से लड़ते रहे,मुगल औरंगजेबमुसलमानो केने शासनइनपर कालजुल्म मेकिया एकतो औरये खटीक वर्ग का उदय हुआ जिसे [[सूर्यवंशी]] या [[सोनकर]]बचाव के नाम से जाना जाता हैं इस उपवर्ग नेलिए सुवर को पाला जो इस्लाम में हराम माना जाता हैं आज भारत में खटिकों को आरक्षण([[राजस्थान]],[[हरियाणा]], [[दिल्ली]],[[उत्तर प्रदेश]])इसी उपवर्ग की वजह से प्राप्तपालने हैं।लगे। इससे त्रस्त आकर [[औरंगज़ेब]] ने इनको [[अज़लफ]] की श्रेणी यानी छोटी जाति की श्रेणी में डाल दिया तथा इनका इतिहास भी नष्ट करने की चेष्टा की [[फ़तवाफतवा-ए-आलमगीरी]] के अनुसार। इनका इतिहास बहोत अच्छा और वीरतापूर्ण रहा है। [[खटीक]] एक कट्टर हिन्दू समुदाय रहा है। खटिक केएक बहुतवीर से गोत्रजाति है जिनमेजो [[खींची]],[[चौहान]],[[बडगुजर]],[[असवाल]],[[बहवाल]],[[कटारिया]],[[पंवार]],[[राजौरा]],मुगलो को [[मैमनिवाल]],[[पहाड़िया]],[[मदान]]कई आदिबार गोत्रहराया है।था खटीक प्राचीन काल मे राजाओखटिक के लिएबहुत युद्धसे लड़नेगोत्र काहै कार्यजिनमे कियासोयल करतेखटिक थे आजादीबघेरवाल केआदि बादगोत्र में भारत सरकार राज आने के बाद वे ये कार्य नही कर सकते थे इसके लिए खटीक समाज के जाने मानेहै [[मोहित खटिक]] https://www.jagran.com/uttar-pradesh/kushinagar-mohit-khatik-had-sourd-the-teeth-of-the-british-in-the-freedom-struggle-20627588.html (जिन्हें गाँधी उपनाम से जाना जाता हैं जो कि [[छापेमारी युद्ध]] कला के निपुण थे) ने [[जवाहर लाल नेहरू]] से खटिकों को सेनातलवार मेंमाँ आरक्षण के लिए आग्रह किया था जिसे नेहरू जीकाली ने ठुकरा दिया था।दि थी
फलस्वरूप खटीक समाज कांग्रेस पार्टी से किनारे हो गया बाद में [[1977]] में [[श्रीमति इंदिरा गाँधी]] जी ने खटीक समाज को अनुसूचित जाति में शामिल किया मूलरूप से भारत के [[राजस्थान]] राज्य के निवासी हैं तथा वहीं से वे रोजी रोजगार की खोज में पूरे भारत में जाकर बस गए। इसीलिए उनका रहन सहन आदि [[क्षत्रियों]] के समान है।
 
==मूल==
बहुत से लोगो का मत हैं कि खटीक का कार्य मांस बेचना होता था लेकिन ये असत्य हैं क्योंकि हिन्दू समाज में एक ही कार्य के लिए दो जातिया नही होती थी मांस काटने व बेचने का कार्य [[कसाई]] समाज करता हैं
 
[[खटिक]] शब्द संस्कृत खटिका से व्युत्पन्न है एक कस्तूरा या शिकारी जिसका अर्थ है। एक और व्युत्पत्ति शब्द खत से है जिसका अर्थ है कि तत्काल हत्या। अपने समुदाय के मूल के बारे में कई संस्करण हैं गुजरात में उन्हें ‘खाटकी' व राजस्थान मे खटीक कहा जाता है, वे राजपूत या क्षत्रिय से वंश का दावा करते हैं, जो शासक के दूसरे सबसे उच्च योद्धा वर्ग हैं। उनका मानना है कि वे मूल रूप से योद्धा थे और किसी तरह कुछ आबादी के कारण अपने वर्तमान व्यवसाय को अपनाया। राजस्थान में, खतिक का दावा है कि क्योंकि योद्धा संत परशुराम [[(विष्णु का 6 वां अवतार)|(विष्णु का 6वां अवतार)]] राजपूत से नारज होकर सभी राजपूतो को मारने लागा राजा दिलीप ने अपनी पहचान छूपा के अपना नाम कोटिक अर्थार्थ राजा खट्वांग बताया जिन के वंश आज खटिक के नाम से जाने
==सन्दर्भ==
{{टिप्पणीसूची}}
"https://hi.wikipedia.org/wiki/खटिक" से प्राप्त