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कलियुग में अत्याचार, बेईमानी क्यों बढ़ रही है?..
कलयुग के भयंकर दुष्प्रभाव कौनसे हैं?..
क्या कलयुग में भजन पूजा से कोई लाभ है?
अमृतमपत्रिका, चित्रगुप्त गंज, नईसड़क, ग्वालियर की एक जबरदस्त खोज युक्त लेख...
कुल मिलाकर कलियुग में केवल 5 चीजों की चर्चा है-
1. भूत की बातें..... अर्थात पुरानी बातें। हम ये थे। हमने ये किया। भाइयों ने धोखा देकर जायदाद हड़प ली। इस तरह की फालतू बातेन करके जीवन भर लातें खाते हैं।
 
2. भभूत की बातें ....यानि तिलकधारी कथावाचक या बाबाओ की बातें। फलां सन्त बहुत अच्छी भगवत कहते हैं। फलाने दांस जी महाराज बहुत ज्ञानी हैं। आदि
 
3. पूत की बातें..... मतलब बच्चों की चर्चा। भले ही वो माँ-बाप को पूछ भी न रह हो। कोई इज्जत नहीं कर रहा हो, तब भी लोग अपना सम्मान बढ़ाने के लिए पूत की अच्छाइयां गिनाते नहीं थकते।
 
4. मूत की बाते..... अर्थात मधुमेह रोग या डाइबिटीज की बातें।
आज कितनी है। कल कितनी थी। कल क्या खाया, आज क्या खाओगे। नीम कितना खाते हो। इन्सुलिन कितनी लेना चाहिए। अच्छा डॉक्टर कौनसा है आदि।
 
5. अब अंत में सबसे गन्दी किंतु सही बात, जो युवाओं में अधिक होती है वह है….चूत की बातें...... यानि लड़कियों की चर्चा। छछूरापन की बातें। आपस में युवा दोस्त बात करते मिलेंगे। क्या हुआ तेरी वाली का। सेट हुई या नहीं।
कहां ले जाएगा। सेक्स कैसे किया इत्यादि। दिल टूटने से लेकर पलंग टूटने की चर्चा अब इनके लिए आम हो गई है।
ब्रेक अप कैसे हो गया।
 
कलयुग के बारे में यह लेख व्यंग्यात्मक और ज्ञानवर्धक दोनों है- जरा समझदारी से पढ़ें।
 
* कल का अर्थ यंत्र है। गुजरे हुए कल और आने वाले सम्ह को भी कल कहते हैं। कलियुग में हरेक व्यक्ति कल की फिक्र में यंत्रवत हो चुका है।
 
* कल से ही अक्ल शब्द बना। कल की खाई चोट खाकर ही मूर्ख व्यक्ति भी बुद्धिमान एवं अनुभवी बन जाता है। कहते हैं कि दुनिया में सबसे बड़ा गुरु घाटा है।
 
* घाटे के विज्ञान बाद का ज्ञान मनुष्य का ध्यान सही स्थान पर लगा देता है। जिसने ज्यादा ठोकर खा, ली, वही एक दिन ठाकुरजी बन सकता है।
 
* अक्ल से से फिर अकाल शब्द की उत्पत्ति हुई। सिख धर्म में अकाल तख्त का बहुत आदर किया जाता है।
* गुरुग्रन्थ साहिब का जयकारा भी प्रसिद्ध है-
बोले सो निहाल, शस्त्र श्री अकाल।
 
* कलयुग में अथाह माल या दौलत होने के बाद भी उसके यहां अकाल पड़ा है। अमीर से कंगाल तक सबके यहां केवल धन का अकाल है।
* कलयुग में लोग भूल गए हैं कि महाकाल ने सम्पूर्ण जीव-जगत के पेट भरने की जिम्मेदारी ली है, तिजोरी भरने की नहीं।
 
* कलियुग में केवल माल के लिए महाकाल को पूज रहे हैं। अगर यहां दाल नहीं गली, तो तत्काल इष्ट बदल देते हैं।
 
* कलियुग में ताल से ताल मिलाने वाली परम्परा और तालाब का नाश हो गया है।
 
* कलियुग का आधार मात्र गाल, माल, गुलाल, चाल-ढाल तक सिमट गया है।
 
* लोग बाहरी रूप से चेहरा चमकने में लगे हैं।
* संस्कृत में कलि का मतलब श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द है।
* कलि का एक अर्थ कलह-झगड़ा भी है अर्थात कलयुग में प्रत्येक प्राणी आन्तरिक या बाहरी क्लेश में जी रहा है।
* कलियुग में ऐसा कोई इंसान नहीं है, जो अंदर ही अंदर अशांति में न जी रहा हो।
* विश्व स्वास्थ्य संगठन यानि डब्लूएचओ की रिसर्च के अनुसार सन्सार भर में लगभग 48 फीसदी लोग मानसिक रूप से बीमार या अवसाद/डिप्रेशन में है।
 
* कलि के अन्य अर्थों में कलि संस्कृत संज्ञा- पुल्लिंग ... एक प्रकार की मत्स्य कहलाती है। जिसका मांस भारी, चिकना, बलकारक और स्वादिष्ट होता है।
 
* कलयुग का दुष्प्रभाव यह है कि लोग कलि अर्थात मछली का सेवन बेशुमार कर रहे हैं।
* कलि का एक आशय पुष्प की कली से भी है। लड़कों की कच्ची कलि पर निगाहें है। इस युग में जिस गली में नई कलि खिली है, वहीं लड़कों की भीड़ बढ़ जाती है।
 
* कलि…कलदार को भी कहते हैं। जिसके पास गलत तरीके से आ रहा है, वही अब दिलदार है। हालांकि वे दिल की बीमारी से परेशान भी हैं।
 
 
 
'''कलियुग''' हिन्दू काल गणना में चार युगों की अवधारणा में चौथा और अंतिम [[युग]] है। मान्यता अनुसार महाभारत युद्ध ३१३७ ईपू में हुआ और कलियुग का आरम्भ इस युद्ध के ३५ वर्ष पश्चात श्री कृष्ण के निधन पर हुआ।
पुराणों के अनुसार कलयुग में भगवान विष्णु के अंतिम अवतार भगवान कल्कि जी का अवतरण होगा और कलयुग समाप्त हो जाएगा