"कलियुग": अवतरणों में अंतर

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अमृतम पत्रिका, चित्रगुप्त गंज, नईसड़क, ग्वालियर की प्रस्तुति...
 
कलयुग को इतना बुरा वक्त क्यों कहते हैं?
 
कलियुग के क्लेश से कैसे बचें।
 
कलियुग कितने साल या वर्ष का है?
 
कलियुग में कैसे जियें?
कलियुग में स्वस्थ्य या हेल्दी कैसे रहें?
 
कल का अर्थ यंत्र है। गुजरे हुए कल और आने वाले समय को भी कल कहते हैं। कलियुग में हरेक व्यक्ति कल की फिक्र में यंत्रवत या मशीन की तरह हो चुका है।
कल से ही अक्ल शब्द बना। कल की खाई चोट खाकर ही मूर्ख व्यक्ति भी बुद्धिमान एवं अनुभवी बन जाता है।
कहते हैं कि दुनिया में सबसे बड़ा गुरु घाटा है।
 
आजकल सबकी जुबान पर एक ही चर्चा रहती है कि-अरे भई, कलियुग है। ऐसा क्या है कलियुग में, जो लोग चिंताग्रस्त हैं।
कलयुग के बारे में यह लेख व्यंग्यात्मक और ज्ञानवर्धक दोनों है- जरा समझदारी से पढ़ें।
 
कलयुग का समय 432000 वर्ष है।
कलयुग में होने वाली मुख्य 5 बातें नीचे अवश्य पढ़ें।
 
 
घाटे के विज्ञान बाद का ज्ञान मनुष्य का ध्यान सही स्थान पर लगा देता है। जिसने ज्यादा ठोकर खा, ली, वही एक दिन ठाकुरजी बन कर सफल हो जाता है।
 
अक्ल से से फिर अकाल शब्द की उत्पत्ति हुई। सिख धर्म में अकाल तख्त का बहुत आदर किया जाता है।
 
गुरुग्रन्थ साहिब पवित्र ग्रन्थ का जयकारा भी जगत प्रसिद्ध है-
बोले सो निहाल, शस्त्र श्री अकाल।
कलयुग में अथाह माल या दौलत होने के बाद भी उसके यहां अकाल पड़ा है। अमीर से कंगाल तक सबके यहां केवल धन का अकाल है।
कलयुग में लोग भूल गए हैं कि महाकाल ने सम्पूर्ण जीव-जगत के पेट भरने की जिम्मेदारी ली है, तिजोरी भरने की नहीं।
कलियुग में केवल माल के लिए काल अर्थात समय के कारक महाकाल को पूज रहे हैं। अगर यहां दाल नहीं गली, तो तत्काल इष्ट बदल देते हैं।
कलियुग में ताल से ताल मिलाने वाली परम्परा और तालाब का नाश हो गया है।
कलियुग का आधार मात्र गाल, माल, गुलाल, चाल-ढाल तक सिमट गया है।
लोग बाहरी रूप से चेहरा चमकने में लगे हैं।
संस्कृत में कलि का मतलब श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द है।
 
 
कलि का एक अर्थ कलह-झगड़ा भी है अर्थात कलयुग में प्रत्येक प्राणी आन्तरिक या बाहरी क्लेश में जी रहा है।
कलियुग में ऐसा कोई इंसान नहीं है, जो अंदर ही अंदर अशांति में न जी रहा हो।
विश्व स्वास्थ्य संगठन यानि डब्लूएचओ की रिसर्च के अनुसार सन्सार भर में लगभग 48 फीसदी लोग मानसिक रूप से बीमार या अवसाद/डिप्रेशन में है।
डिप्रेशन का स्थायी इलाज आयुर्वेद में ब्राह्मी, शंखपुष्पी, जटामांसी, मलकांगनी, जटामांसी स्मृतिसागर रस, स्वर्ण भस्म आदि का उपयोग अत्यंत हितकारी है।
अमृतम ब्रेन की गोल्ड माल्ट एवं ब्रेन की गोल्ड टेबलेट उपरोक्त जड़ीबूटियों व भस्मों से निर्मित एक बेहतरीन योग है।
 
 
कलि का अर्थ मछली भी होता है- कलि के अन्य अर्थों में कलि संस्कृत संज्ञा- पुल्लिंग ... एक प्रकार की मत्स्य कहलाती है। जिसका मांस भारी, चिकना, बलकारक और स्वादिष्ट होता है।
कलयुग का दुष्प्रभाव यह है कि लोग कलि अर्थात मछली का सेवन बेशुमार कर रहे हैं।
कलि का एक आशय पुष्प की कली से भी है। लड़कों की कच्ची कलि पर निगाहें है। इस युग में जिस गली में नई कली खिली है, वहीं लड़कों की भीड़ बढ़ जाती है।
कलि…कलदार को भी कहते हैं। जिसके पास गलत तरीके से आ रहा है, वही अब दिलदार है। हालांकि वे दिल की बीमारी से परेशान भी हैं।
कुल मिलाकर कलियुग में केवल 5 चीजों की चर्चा है-
 
भूत की बातें अर्थात पुरानी बातें। हम ये थे। हमने ये किया। भाइयों ने धोखा देकर जायदाद हड़प ली। इस तरह की फालतू बातेन करके जीवन भर लातें खाते हैं।
भभूत की बातें यानि तिलकधारी कथावाचक या बाबाओ की बातें। फलां सन्त बहुत अच्छी भगवत कहते हैं। फलाने दांस जी महाराज बहुत ज्ञानी हैं। आदि
पूत की बातें मतलब बच्चों की चर्चा। भले ही वो माँ-बाप को पूछ भी न रह हो। कोई इज्जत नहीं कर रहा हो, तब भी लोग अपना सम्मान बढ़ाने के लिए पूत की अच्छाइयां गिनाते नहीं थकते।
मूत की बाते अर्थात मधुमेह रोग या डाइबिटीज की बातें।
आज कितनी है। कल कितनी थी। कल क्या खाया, आज क्या खाओगे। नीम कितना खाते हो। इन्सुलिन कितनी लेना चाहिए। अच्छा डॉक्टर कौनसा है आदि।
अब अंत में सबसे गन्दी किंतु सही बात, जो युवाओं में अधिक होती है वह है….चूत की बातें यानि लड़कियों की चर्चा। छछूरापन की बातें। आपस में युवा दोस्त बात करते मिलेंगे। क्या हुआ तेरी वाली का। सेट हुई या नहीं।
कहां ले जाएगा। दिल टूटने से लेकर पलंग टूटने की चर्चा अब इनके लिए आम हो गई है।ब्रेक अप कैसे हो गया।
कलियुग के बारे में अनेक अंतरंग, नॉनवेज जानकारी अभी फिलहाल नहीं दे रहे हैं। आगे कभी बताएंगे।
 
 
'''कलियुग''' हिन्दू काल गणना में चार युगों की अवधारणा में चौथा और अंतिम [[युग]] है। मान्यता अनुसार महाभारत युद्ध ३१३७ ईपू में हुआ और कलियुग का आरम्भ इस युद्ध के ३५ वर्ष पश्चात श्री कृष्ण के निधन पर हुआ।
पुराणों के अनुसार कलयुग में भगवान विष्णु के अंतिम अवतार भगवान कल्कि जी का अवतरण होगा और कलयुग समाप्त हो जाएगा