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इस्लाम मे 5 वक्त की नामाज़ मुक़र्रर की गई है और हर नम्र फ़र्ज़ है। इस्लाम मे रमज़ान एक पाक महीना है जो कि 30 दिनों का होता है और 30 दिनों तक रोज रखना जायज़ हैजिसकी उम्र 12 या 12 से ज़्यादा हो।<ref>{{Cite web|url=https://www.jansatta.com/religion/ramadan-2019-history-and-significant-know-about-how-long-ramadan-what-is-its-recognition-in-islam/1002116/|title=जानिए, कब से शुरू हुआ रमजान, इस्लाम में क्या है इसकी मान्यता|date=2019-05-04|website=Jansatta|language=hi|access-date=2020-10-03}}</ref> 12 से कम उम्र पे रोज़ फ़र्ज़ नही। सेहत खराब की हालत में भी रोज़ फ़र्ज़ नही लेकिन रोज़े के बदले ज़कात देना फ़र्ज़ है। वैसा शख्स जो रोज़ा न रख सके किसी भी वजह से तो उसको उसके बदले ग़रीबो को खाना खिलाने और उसे पैसे देने या उस गरीब की जायज़ ख्वाइश पूरा करना लाज़मी है। मुसलमान कुरान का ज्ञान देने वाले को अल्लाह मानते हैं लेकिन सूरत 25 आयत 59 में प्रमाण है कि वास्तविक अल्लाह कुरान का ज्ञान देने वाले से भिन्न है, और उसका नाम कबीर है<ref>{{Cite web|url=https://www.jagatgururampalji.org/hi/quran-sharif|title=कुरान शरीफ (इस्लाम) में सर्वशक्तिमान अविनाशी भगवान (अल्लाह कबीर) {{!}} Jagat Guru Rampal Ji|website=www.jagatgururampalji.org|access-date=2020-10-03}}</ref>
 
=== वैदिक धर्म (हिन्दू पन्थधर्म) ===
{{मुख्य|वैदिक|हिन्दू}}
पंथ व मत को कोई महापुरुष चलातें है जबकि धर्म आदिकाल से चला आ रहा है अतः इसे धर्म कहा जाता है पंथ नही । (हिन्दुओ) की पवित्र धार्मिक पुस्तक[[वेद]] के अनुसार व्यक्तिईश्वर केस्वयंसिद्ध भीतरसत्ता पुरुषहै। ईश्वरउसी हीमें यह सम्पूर्ण विश्व समाया है। परमेश्वरउसका निज एकनाम हीप्रणव है। वैदिक और पाश्चात्य मतों में परमेश्वर की अवधारणा में यह गहरा अन्तर है कि वेद के अनुसार ईश्वर भीतर और परे दोनों है जबकि पाश्चात्य धर्मों के अनुसार ईश्वर केवल परे है। ईश्वर परब्रह्म का सगुण रूप है।
 
सनातनी(हिन्दुओ) में अनेक जनसमुदाय एक ही ईश्वर को अनेक नामो से जानता व पूजता है। जैसे वैष्णव लोग [[विष्णु]] को ही ईश्वर मानते है, तो शैव [[शिव]] को।
 
योग सूत्र में [[महर्षि पतञ्जलि|पतंजलि]] लिखते है - "क्लेशकर्मविपाकाशयैरपरामृष्टः पुरुषविशेष ईश्वरः"। (क्लेष, कर्म, विपाक और आशय से अछूता (अप्रभावित) वह विशेष पुरुष है।) [[हिन्दू धर्म|हिन्दु धर्म]] में यह ईश्वर की एक मान्य परिभाषा है।
 
ईश्वर जगत के नियन्ता है और इसका प्रमाण ब्रह्माण्ड की सुव्यवस्थित रचना एवम् इसमें नियम से घटित होने वाली वो घटनाएँ है जो कि बिना किसी नियन्ता के संभव नहीं है। कुछ लोग अल्पज्ञानवश ईश्वर को एक कल्पना मात्र मानते है परन्तु विद्वान तथा बुद्धिमान लोग ईश्वर में पूर्ण विश्वास करते है। वेदों के अनुसार [[न तस्य प्रतिमास्ति]] के आधार पर ईश्वर निराकार है अर्थात वह एक निश्चित आकार नही रखता अपितु अनेक रूपो में सम्पूर्ण विस्हहव में समाहित है।
विश्व मे उस ईश्वर को [[ओ३म्]] के नाम से जाना जाता है।
 
=== जैन पन्थ ===
"https://hi.wikipedia.org/wiki/ईश्वर" से प्राप्त