"वैशेषिकसूत्र": अवतरणों में अंतर

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{{हिंदू शास्त्र और ग्रंथ}}
'''वैशेषिकसूत्र''' [[कणाद]] मुनि द्वारा रचित [[वैशेषिक दर्शन]] का मुख्य ग्रन्थ है। इस पर अनेक टीकाएं लिखी गयीं जिसमें [[प्रशस्तपाद]] द्वारा रचित '''पदार्थधर्मसंग्रह''' प्रसिद्ध है। उनके अनुसार सभी पदार्थ छोटी इकाइयों का समूह है जिन्हें परमाणु (ऐटम) कहते हैं| यह अनादि अनंत, अभी भज्य, गोलाकार, अति गुण ग्राही तथा मूल अवस्था में गतिशील होते हैं| उन्होंने स्पष्ट किया कि इस अकेली इकाई का बोध मनुष्य की किसी भी ज्ञानेंद्र द्वारा नहीं होता है| कणाद ने यह भी बताया कि परमाणु अनेक प्रकाार के होते हैं और पदार्थों के विभिन्नन वर्गो के अनुसार इनमें भी भिन्नता होतीी है| उन्होंने कहा कि अन्य सैया जनों के अतिरिक्त दोोो या तीन परमाणु बी संयोजित हो सकताा है| उन्होंने इस सिद्धांत की अवधारणा जॉन डाल्टन(1766 -- 1844)से लगभग 25 वर्ष पूर्व देे दी थी|
 
[[श्रेणी:संस्कृत ग्रन्थ]]