"विजय नाहर": अवतरणों में अंतर

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| education = बांगड़ महाविद्यालय, पाली (एम. ए-इतिहास)
| genre = संदर्भ पुस्तके, [[अनुसंधान|भारतीय इतिहास]], जीवनी
| notableworks = स्वर्णिम भारत के स्वप्नद्रष्टा नरेंद्र मोदी, वसुंधरा राजे एवं विकसित राजस्थान, भारत के आधुनिक ब्रम्हर्षि-पं. दीनदयाल उपाध्याय,हिन्दुवा सूर्य महाराणा प्रताप,शीलादित्य सम्राट हर्षवर्द्धन एवं उनका युग, सम्राट [[मिहिर भोज]], सम्राट भोज परमार, प्रारंभिक इस्लामिक आक्रमणों का भारतीय प्रतिरोध, युगपुरुष बप्पारावल
| spouse = सायर नाहर
| children = 3
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इसी कड़ी की अगली पुस्तकों में सम्राट भोज परमार में 950 ई. से 1100 ई. तक के भारतीय इतिहास की विवेचना की। सम्राट भोज परमार के युग में हुए राजनीतिक की नहीं बल्कि सांस्कृतिक, सामाजिक आर्थिक, शैक्षणिक, साहित्यिक एवं वास्तुशिल्प की प्रगति एवं परिवर्तन का बड़े विस्तार से वर्णन किया है।
नाहर ने लिखा कि भोज ने धर्माधारित शासन व्यवस्था स्थापित की। विकेन्द्रित शासन व्यवस्था थी। कर बहुत कम थे, दंड व्यवस्था कठोर थी। समाज में महिलाओं का उच्च एवं आदरणीय सम्मानीय स्थान था। सम्राट भोज केवल पराक्रमी शाशक ही नही अपितु 30 ग्रंथों का रचनाकार व साहित्यकारों का संरक्षक भी था।<ref>{{cite web|title=सम्राट भोज परमार|url=https://www.hindikunj.com/2019/05/bhoja-indian-king.html?m=1|website=www.hindikunj.com|accessdate=20 May 2019}}</ref>
नाहर ने 636 ईसवी से 1204 ईसवी तक भारतीय राजाओ के पराक्रम को अपनी अगली पुस्तक "प्रारंभिक इस्लामिक आक्रमण एवं भारतीय प्रतिरोध" में उजागर किया। संदर्भ सहित पहली बार यह लिखा कि गुजरात के सोमनाथ मंदिर को गजनवी द्वारा खंडित करना सरासर निराधार है। मोहम्मद गजनवी था थानेसर(हरियाणा) से आगे नही बढ़ सका न ही सिंध विजय कर पाया। गजनवी भारतीय राजाओं से पराजित हुआ।सम्राट भोज परमार ने गजनी तक उसका पीछा किया। गजनी में गजनवी भोज के समक्ष गिड़गिड़ाया व भारत की और कभी आंख नही उठाने का संकल्प लिया।<ref>{{cite web|title=सम्राट भोज परमार : समीक्षा|url=http://sahityakunj.net/entries/view/samraat-bhoj-parmar-sameeksha|website=www.sahityakunj.net|accessdate=5 June 2019|archive-url=https://web.archive.org/web/20190605131040/http://sahityakunj.net/entries/view/samraat-bhoj-parmar-sameeksha|archive-date=5 जून 2019|url-status=dead}}</ref>नाहर की इसी कड़ी की अगली पुस्तक "युगपुरुष बप्पारावल" महाराणा प्रताप के पूर्वज बप्पारावल पर आधारित है जिसका विमोचन अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रिय महामंत्री बालमुकुंद पांडेय ने राष्ट्रीय सेमिनार में किया नाहर ने सन्दर्भ सहित यह वर्णित किया है कि बप्पारावल अपने जीवन में कभी पराजित नहीं हुए और उन्होंने मुस्लिम व अरब आक्रमणकारियों को इस तरह भयाक्रांत कर दिया कि वह ३०० वर्षों तक भारत में आक्रमण करने कि हिम्मत नहीं जुटा पाए |<ref>{{cite web|title=युगपुरुष बप्पारावल पुस्तक का विमोचन |url=https://epaper.patrika.com/rajasthan/pali/2021-10-5/4/page-1.html|website=www.epaper.patrika.com|accessdate=5 अक्टूबर 2021}}</ref><ref>{{cite web|title=राष्ट्रिय महामंत्री ने किया इतिहासकार नाहर की शोध पुस्तक “युगपुरुष बप्पारावल” का विमोचन |url=https://udaipurkiran.in/hindi/national-general-secretary-released-historian-nahars-research-book-yugpurush-bapparawal/|website=www.udaipurkiran.in|accessdate=5 अक्टूबर 2021}}</ref>
 
==ग्रंथ सूची==