"मंगल कलश": अवतरणों में अंतर

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कलश स्थापना का वैदिक विधान क्या है।
कलश स्थापन की मानस पूजा के फायदे।
कलश स्थापना से क्या लाभ होगा।
क्या कलश की स्थापना जरूरी?
नवरात्रि में कैसे करें कलश स्थापना?
 
पढ़ें- अमृतमपत्रिका, ग्वालियर मप्र
 
शिव सहिंता, कालितन्त्र, कठोउपनिषद, मन्त्र-मातृकाओं के रहस्य, दुर्गा रहस्य, नवशक्तियों के चमत्कार, श्रीसूक्त रहस्य आदि प्राचीन ग्रन्थों और यतपिण्डे-तत्ब्राह्मांडे के अनुसार मानव मस्तिष्क ही कलश का प्रतिरूप है।
हमें इस मस्तिष्क रूपी कलश में सन्सार 2727 नदियों का आव्हान कर अपने तन-मन की मलिनता को साफ करना ही वैदिक कलश स्थापना है।
 
जगतगुरू आदि शंकराचार्य ने नवदुर्गा साधना में मानसपूजा का अलग ही महत्व एवं असर बताया है।
 
साधारण टूर पर कलश स्थापना की विधि अनेकों बाज़ार किताबो, गूगल तथा शोशल मीडिया पर मिल जाएगी।
सांसारिक कलश स्थापना विधि…निराहार रहकर
 
एक लकड़ी के पाटे पर सफेद वस्त्र रखकर उसपर हल्दी से ॐ/ ह्रीं/ वं या स्वस्तिक बनाएं।
 
एक कलश स्वर्ण,रजत, तांबा,या मिट्टी का लेकर उसमें गंगाजल, सादा जल भरें। हो सके, तो सात नदी, तालाब, कुआं आदि का जल भी भर सकते हैं।
 
कलश को दोनों हाथ का कमल आकृति बनाकर 8 बार !!वं वरुणाय नमः शिवाय!! कहकर माथे से लगाकर सर्व नदियों के जल का आव्हान करें।
 
फिर, कलश के ऊपर 5 पान के पत्ते कमल की आकृति जैसे सजाएं।
 
कलश में चांदी या स्वर्ण की धातु, एक सुपारी, अक्षत (बिना टूटे चावल), पुष्प, चन्दन इत्र सप्तधान्य और गुड़ डालें।
 
जब कलश पूरी तरह तैयार हो जाये, तो 2 घी के दिपक जलाकर माँ शक्ति एवं अपनी पितृमातृकाओं, मातृमात्रकाओं का आव्हान कर, कलश जल में रहने की प्रार्थना करें।
 
9 दिन तक नियमित कलश पर पुष्प अर्पित कर दो दीपक घी के जलाएं।
 
 
कलश को हमेशा मन्दिर के इशान को में ही स्थापित करें।
 
अंत में कलश के जल को शिवलिंग पर अर्पित कर 5 दीपक जलाकर
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै नमःशिवाय
की एक माला जाप करें।
 
अंत में 9 दिन बाद इस जल के घर के सदस्य भी आचमन के तौर पर ग्रहण करें, तो साल भर कोई रोग नहीं सताता।
कलश के बारे में इतनी ही जानकारी ठीक रहेगी। ग्रन्थों में बहुत अधिक बताया है। लेकिन वो सन्त महातांत्रिक, महात्माओं के लिए बताया है
 
 
अगर कोई कालसर्प से पीड़ित हो, तो हल्दी में चन्दन का इत्र मिलाकर उपरोक्त चित्र की तरह नाग आकृति बनाकर बीचोबीच कलश स्थापना करें।
 
यदि रोज अर्गला स्त्रोत का पाठ करें, तो दुर्भाग्य का नाश होगा।
बहुत काम और फायदे की बात…
 
अभी 10 दिन बाद दीपावली पूजन के लेख में कलश पूजन, दीपावली विधान की की पूरी वैदिक परम्परा विस्तार से बताएंगे। इस बार की दिवाली अमृतमपत्रिका के विधानानुसार करें, तो जीवन सुख-समृद्धि से भर उठेगा।
 
हम गलत नम्बर डायल करके सही आदमी से काम की बात नहीं कर सकते। पूजा का भी यही तरीका है। कम करो, किंतु विधि-विधान से करो।
 
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