"जैन धर्म": अवतरणों में अंतर

छो 122.180.197.246 (वार्ता) द्वारा किए बदलाव को संजीव कुमार के बदलाव से पूर्ववत किया: प्रचार।
टैग: किए हुए कार्य को पूर्ववत करना SWViewer [1.4]
पंक्ति 5:
 
[[अहिंसा]] जैन धर्म का मूल सिद्धान्त है। इसे बड़ी सख्ती से पालन किया जाता है खानपान आचार नियम मे विशेष रुप से देखा जा सकता है‌। जैन दर्शन में कण कण स्वतंत्र है इस सॄष्टि का या किसी जीव का कोई कर्ताधर्ता नही है। सभी जीव अपने अपने कर्मों का फल भोगते है। जैन दर्शन में भगवान न कर्ता और न ही भोक्ता माने जाते हैं। जैन दर्शन मे सृष्टिकर्ता को कोई स्थान नहीं दिया गया है। जैन धर्म में अनेक शासन देवी-देवता हैं पर उनकी आराधना को कोई विशेष महत्व नहीं दिया जाता। जैन धर्म में तीर्थंकरों जिन्हें जिनदेव, जिनेन्द्र या वीतराग भगवान कहा जाता है इनकी आराधना का ही विशेष महत्व है। इन्हीं तीर्थंकरों का अनुसरण कर आत्मबोध, ज्ञान और तन और मन पर विजय पाने का प्रयास किया जाता है।
 
आज दुनिया में 6 मिलियन जैन हैं और भारत, जो कभी जैन भूमि हुआ करती थी, में केवल 4,451,753 जैन हैं। किस हक से गिरनार की भीख मांगते हैं जो खुद के परिवार को न बढ़ा सकते हैं
एक सर्वे माई आगले 5 साल में जैन 3600000 होंगे या अगल 10 साल मैं 2400000 फिर खतम भी जल्दी होंगे क्या करेंगे गिरनार का रे मरने के बाद बाबा Ashish jain
 
== भगवान ==