"राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (भारत)": अवतरणों में अंतर
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अध्यक्ष का कार्यकाल पहले 5 वर्ष या 65 साल की आयु तक था लेकिन 2019 संसोधन के बाद यह 3 वर्ष या 65 वर्ष तक कर दिया गया है। टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
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यह आयोग देश में मानवाधिकारों का प्रहरी है। यह सविंधान द्वारा अभिनिश्चित तथा अन्तरराष्ट्रीय सन्धियों में निर्मित व्यक्तिगत अधिकारों का संरक्षक है।
यह एक बहु सदस्यीय निकाय है। इसके प्रथम अध्यक्ष न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्र थे। वर्तमान में (2021)न्यायमूर्ति अरुण कुमार मिश्रा इसके वर्तमान अध्यक्ष के पद पर आसीन है।
इसके अध्यक्ष व सदस्यों का कार्यकाल 3 वर्ष या 70 वर्ष (जो भी पहले पूर्ण हो जाए
इसके अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक गठित समिति की सिफारिश पर होती है।
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का गठन पेरिस सिद्धान्तों के अनुरूप है जिन्हें अक्तूबर, 1991 में पेरिस में मानव अधिकार संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिए राष्ट्रीय संस्थानों पर आयोजित पहली अन्तरराष्ट्रीय कार्यशाला में अंगीकृत किया गया था तथा 20 दिसम्बर, 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा संकल्प 48/134 के रूप में समर्थित किया गया था।
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यह अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपता है।
''राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष एचएल दत्तू ने इस आयोग को दन्त-विहीन बाघ कहा है''
== मानव अधिकार आयोग अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को प्रतिवर्ष सौपती है। ==
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*मानव अधिकार आयोग के वर्तमान अध्यक्ष
[[श्रेणी:भारत के सरकारी आयोग]]
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