"अधिगम": अवतरणों में अंतर
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'''सीखना''' या '''अधिगम''' ([[जर्मन भाषा|जर्मन]]:
उदाहरणार्थ - छोटे बालक के सामने जलता दीपक ले जानेपर वह दीपक की लौ को पकड़ने का प्रयास करता है। इस प्रयास में उसका हाथ जलने लगता है। वह हाथ को पीछे खींच लेता है। पुनः जब कभी उसके सामने दीपक लाया जाता है तो वह अपने पूर्व अनुभव के आधार पर लौ पकड़ने के लिए, हाथ नहीं बढ़ाता है, वरन् उससे दूर हो जाता है। इसीविचार को स्थिति के प्रति प्रतिक्रिया करना कहते हैं। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि अनुभव के आधार पर बालक के स्वाभाविक व्यवहार में परिवर्तन हो जाता है।अधिगम का सर्वोत्तम सोपान अभिप्रेरणा है
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*(क) '''मुख्य नियम''' (Primary Laws)
::*1. तत्परता का नियम
::*2. अभ्यास का नियम
:::*
:::* अनुप्रयोग का नियम
1.बहु-अनुक्रिया का नि▼
:
3. आंशिक क्रिया का नियम▼
::5. साहचर्य-परिर्वतन का निय▼
::*2.मानसिक स्थिति का नियम
▲::*3. आंशिक क्रिया का नियम
::*4. समानता का नियम
=== मुख्य नियम ===
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यह पाया गया है कि हर प्रयास में अगर घंटी (अनुबन्धित उत्तेजना) तो बजाई जाती है परन्तु भोजन प्रस्तुत नहीं किया जाता तो अनुबन्धन का विलोप हो जाता है। अर्थात् घंटी के बजने से कोई भी लार स्रावित नहीं होगी और यदि कई प्रयासों में लगातर ऐसा ही किया जाता है तो विलोपन की स्थिति आ जाती है।
यह भी पाया गया है कि विलो पन के कुछ अन्तराल के पश्चात् यदि घंटी बिना भोजन के बजाई जाती है तो कुत्ता के वल कुछ प्रयासों तक फिर से लार गिरायेगा। विलोप के बाद अनुबन्धित अनुक्रिया की इस स्थिति को स्वतः परिवर्तित (स्पॉन्टेनियस
=== क्रियाप्रसूत अनुबन्धन- पुनर्बलन के द्वारा सीखना === अगर कोई बच्चा समय से अपना गृहकार्य कर लेता है तो उसके माता-पिता उसकी प्रशंसा करते हैं तो उसको सकारात्मक पुनर्बलन मिलता जिससे बच्चा उस कार्य को करना सीख जाता है। लेकिन अगर बच्चा कोई प्लेट तोड़ देता है तो उसे डांटा जाता है या उसे सजा दी जाती है तो बालक को नकरात्मक पुनर्बलन मिलता है जिससे बालक उस कार्य को नहीं करता है । इस प्रकार के अनुबन्धन को नैमित्तिक अनुबन्धन या क्रियाप्रसूत अनुबन्धन कहते हैं। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि हम वह व्यवहार करना सीख जाते हैं जिसमें परिणाम सकारात्मक होते हैं और हम वह व्यवहार करना छोड़ देते हैं जो हमें नकारात्मक परिणाम देता है। व्यावहारिक अनुबन्धन सीखने की वह विधि है जिसमें प्राणी उस व्यवहार को दोहराते हैं जिसका परिणाम सकारात्मक होता है और उस व्यवहार से बचता है जिसका परिणाम नकारात्मक होता है। बी.एफ. स्किनर ऐ से सर्वाधिक प्रभावशाली वैज्ञानिक हैं जो सीखने में क्रियाप्रसूत अनुबन्धन की भूमिका के सबसे ज्यादा पक्षधर रहे हैं। उन्होंने चूहों पर इस अनुबन्धन का प्रयोग करने के लिए डिब्बे का निर्माण किया जिसे '''स्किनर बाक्स''' कहा जाता है।
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