"विष्णु": अवतरणों में अंतर
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ऋग्वेद में सर्वप्रथम स्वतंत्र रूप से विष्णु को मंडल १ के सूक्त २२ में वर्णन आया है जिसमे विष्णु के वामन अवतार के तीन पग से तीन लोक मापने के वर्णन है ।
अन्य रिग्वेदिक सूक्त १५६, मंडल ७ सूक्त १०० में विष्णु के वर्णन हैं जिसमे विष्णु को इंद्र का मित्र एवं वृत्त के वध हेतु इंद्र की सहायता करना वर्णन है जिससे त्रिदेव के विष्णु की महत्ता समझ आती है । चक्रधारी , [[शिव]], लक्ष्मीकान्त , सत्यनरायण , विक्रम , हरि , अनन्त , मधुसूदन , कैटभभाजित , पीताम्बर आदि भगवान विष्णु के प्रमुख नाम हैं |
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