"कपिल": अवतरणों में अंतर

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[[File:Kapila.jpg|thumb|कपिल मुनि]]
'''कपिल''' [[प्राचीन भारत]] के एक प्रभावशाली [[मुनि]] थे। उन्हे प्राचीन ऋषि कहा गया है। इन्हें [[सांख्य दर्शन|सांख्यशास्त्र]] (यानि तत्व पर आधारित ज्ञान) के प्रवर्तक के रूप में जाना जाता है जिसके मान्य अर्थों के अनुसार विश्व का उद्भव विकासवादी प्रक्रिया से हुआ है। कई लोग इन्हें [[नास्तिकता|अनीश्वरवादी]] मानते हैं लेकिन [[श्रीमद्भगवद्गीता|गीता]] में इन्हें श्रेष्ठ मुनि कहा गया है। कपिल ने सर्वप्रथम [[विकासशील जीव विज्ञान|विकासवाद]] का प्रतिपादन किया और संसार को एक क्रम के रूप में देखा। "[[कपिलस्मृति]]"उनका धर्मशास्त्र है। ये भगवान [[विष्णु]] के अवतार हैं |
 
संसार को स्वाभाविक गति से उत्पन्न मानकर इन्होंने संसार के किसी अति प्राकृतिक कर्ता का निषेध किया। सुख दु:ख प्रकृति की देन है तथा पुरुष अज्ञान में बद्ध है। अज्ञान का नाश होने पर पुरुष और प्रकृति अपने-अपने स्थान पर स्थित हो जाते हैं। अज्ञानपाश के लिए ज्ञान की आवश्यकता है अत: कर्मकाण्ड निरर्थक है। ज्ञानमार्ग का यह प्रवर्तन भारतीय संस्कृति को कपिल की देन है। यदि बुद्ध, [[महावीर]] जैसे [[नास्तिक]] दार्शनिक कपिल से प्रभावित हों तो आश्चर्य नहीं। आस्तिक दार्शनिकों में से [[वेदान्त दर्शन|वेदान्त]], [[योग दर्शन]] और पौराणिक स्पष्ट रूप में सांख्य के त्रिगुणवाद और विकासवाद को अपनाते हैं। इस प्रकार कपिल प्रवर्तित सांख्य का प्रभाव प्राय: सभी दर्शनों पर पड़ा है।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/कपिल" से प्राप्त