"अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'": अवतरणों में अंतर

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कृष्ण के अनुरूप ही राधा का चरित्र है वे दोनों की भगिनी अनाश्रितों की माँ और विश्व की प्रेमिका हैं। अपने प्रियतम कृष्ण के वियोग का दुख सह कर भी वे लोक-हित की कामना करती हैं-
:प्यारे जीवें जग-हित करें, गेह चाहे न आवें।
 
:प्यारे जीवें जग-हित करें, गेह चाहे न आवें।
 
'''प्रकृति-चित्रण'''- हरिऔध जी का प्रकृति चित्रण सराहनीय है। अपने काव्य में उन्हें जहाँ भी अवसर मिला है, उन्होंने प्रकृति का चित्रण किया है। और उसे विविध रूपों में अपनाया है।
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* [https://web.archive.org/web/20160302092804/http://www.bhashantar.org/2014/03/blog-post_16.html श्रीरुक्मिणीरमणो विजयते ( अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध) ]
 
{{हिन्दी साहित्यकार (जन्म humh५०१८५०-१९००)}}
 
{{बाल साहित्य}}