"निर्मल महतो": अवतरणों में अंतर
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'''निर्मल महतो''' ने शोषण के विरुद्ध एवं गरीबों ,मजदूरों, किसानों के हक के लिए आवाज उठायी और जमीनी स्तर पर युवाओं को जोड़ने का काम किया उन्होंने आजसू के नेताओं को आंदोलन की बारीकियों से अवगत कराने के लिए [[दार्जिलिंग]] में सुभाष घीसिंग और '''ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन''' '''आजसू''' के नेता '''प्रफुल्ल कुमार महंत''' व '''भृगु कुमार फूकन''' से मिलने [[असम]] भी भेजा.
[[झारखंड]] में इंटर फेल विद्यार्थियों पर लाठीचार्ज के खिलाफ [[धनबाद]] बंद का मिला-जुला असर,जगह-जगह प्रदर्शन किया!
[[झारखंड]] अलग [[राज्य]] के लिए आंदोलन ने इस कदर रफ्तार पकड़ ली कि तत्कालीन प्रधानमंत्री [[राजीव गांधी]] व तत्कालीन [[ भारत के गृह मंत्री]] बूटा सिंह को [[दिल्ली]] में कई बार आजसू से वार्ता करनी पड़ी. आखिरकार झारखंड स्वायत्तशाषी परिषद, फिर '''झारखंड अलग राज्य का गठन''' हुआ, लेकिन यह देखने के लिए [[निर्मल महतो]] जीवित नहीं रहे. 8 अगस्त 1987 को निर्मल महतो ( निर्मल दा) की हत्या कर दी गई थी!
==हत्या==
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