"अधिवक्ता": अवतरणों में अंतर

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'''अधिवक्ता''', '''अभिभाषक''' या [https://www.guru.com/freelancers/pms-lokesh वक़ील]'''वकील''' (ऐडवोकेट advocate) के अनेक अर्थ हैं, परंतु [[हिन्दी|हिंदी]] में ऐसे व्यक्ति से है जिसको [[न्यायालय]] में किसी अन्य व्यक्ति की ओर से उसके हेतु या वाद का प्रतिपादन करने का अधिकार प्राप्त हो। अधिवक्ता किसी दूसरे व्यक्ति के स्थान पर (या उसके तरफ से) [[अभिवचन|दलील]] प्रस्तुत करता है। इसका प्रयोग मुख्यतः [[विधि|कानून]] केrrreके सन्दर्भ में होता है। प्रायः अधिकांश लोगों के पास अपनी बात को प्रभावी ढंग से कहने की क्षमता, ज्ञान, कौशल, या भाषा-शक्ति नहीं होती। अधिवक्ता की जरूरत इसी बात को रेखांकित करती है। अन्य बातों के अलावा अधिवक्ता का [[कानूनविद्]] (lawyer) होना चाहिये। कानूनविद् उसको कहते हैं जो [[विधि|कानून]] का विशेषज्ञ हो या जिसने कानून का व्यावसायिक अध्ययन किया हो।
 
भारतीय न्यायप्रणाली में ऐसे व्यक्तियों की दो श्रेणियाँ हैं : (१) वरिष्ठ अधिवक्ता (ऐडवोकेट) तथा (२) अधिवक्ता ([https://www.guru.com/freelancers/pms-lokesh वक़ील] वकील)। ऐडवोकेट के नामांकन के लिए भारतीय "बार काउंसिल' अधिनियम के अंतर्गत प्रत्येक प्रादेशिक उच्च न्यायालय के अपने-अपने नियम हैं। [[उच्चतम न्यायालय]] में नामांकित ऐडवोकेट देश के किसी भी न्यायालय के समक्ष प्रतिपादन नहीं कर सकता है। [https://www.guru.com/freelancers/pms-lokesh वक़ील] वकील, उच्चतम या उच्च न्यायालय के समक्ष प्रतिपादन नहीं कर सकता। [[ऐडवोकेट जनरल]] अर्थात्‌ [[महाधिवक्ता]] शासकीय पक्ष का प्रतिपादन करने के लिए प्रमुखतम अधिकारी है।
 
यदि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय का यह मत है कि कोई अधिवक्ता अपनी योग्यता अदालत में अपनी स्थिति, विशेष जानकारी या कानूनी अनुभव के आधार पर वरिष्ठ अधिवक्ता बनने का अधिकारी है तो उसे उसकी सहमति से वरिष्ठ अधिवक्ता बनाया जा सकता है। वरिष्ठ अधिवक्ता किसी अन्य अधिवक्ता के बगैर उच्चतम न्यायालय में पेश नहीं हो सकता। दूसरे अधिवक्ता का नाम रिकॉर्ड में होना चाहिए। इसी तरह अन्य अदालतों और न्यायाधिकरणों में पेश होने के लिए सहयोगी अधिवक्ता का नाम राज्य सूची में दर्ज होना चाहिए। अधिवक्ता के रूप में पंजीकरण के लिए शिक्षा का स्तर निर्धारित है। व्यावसायिक आचरण और व्यवहार पर नियंत्रण के साथ-साथ अन्य मामलों के लिए नियम बनाए गए हैं।
 
[[भारत]] के कानूनी व्यवसाय से संबंधित कानून [[अधिवक्ता अधिनियम|अधिवक्ता अधिनियम, 1961]] और देश की [[भारतीय विधिज्ञ परिषद]] (बार काउंसिल) द्वारा निर्धारित नियमों के आधार पर संचालित होता है। कानून के क्षेत्र में काम करने वाले पेशेवरों के लिए यह स्वनिर्धारित कानूनी संहिता है जिसके तहत देश और राज्यों की बार काउंसिल का गठन होता है। अधिवक्ता कानून, 1961 के तहत पंजीकृत किसी भी [https://www.guru.com/freelancers/pms-lokesh वक़़ील]वकील को पूरे भारत में कानूनी व्यवसाय करने का अधिकार है। किसी राज्य की बार काउंसिल में पंजीकृत कोई नहीं वकील किसी दूसरे राज्य की बार काउंसिल में अपने नाम के तबादले के लिए निर्धारित नियमों के अनुसार आवेदन कर सकता है। किन्तु कोई भी वकील एक या ज्यादा राज्य की बार काउंसिल में पंजीकृत नहीं हो सकता है। राज्य की बार काउंसिलों के पास अपने यहां पंजीकृत वकीलों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही का अधिकार नहीं होता है। इस कार्यवाही के विरुद्ध देश की बार काउंसिल में अपील नहीं की जा सकती है और उच्चतम न्यायालय में भी जाने का अधिकार नहीं मिला हुआ है।
 
==अधिवक्ता कल्याण कोष==