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जाने काम के बारे में काम की बातें-कामशास्त्रों के अनुसार।
[[चित्र:Kama Rati.jpg|thumb|300px|कामदेव तथा रति]]
 
कामवासना के भ्रम मिटाने हेतु यह लेख स्त्री जातक, स्त्री रहस्य, काम सूत्र आदि 19 से अधिक पुस्तकों से लिया गया है।
 
रतिक्रीड़ा क्या होती है?..
 
रतिक्रिया किस उम्र में करना चाहिए?..
 
सम्भोग करने से क्या फायदे हैं?...
 
क्या स्त्री मिलन रोज जरूरी है?..
 
क्या रितिक्रिया या सेक्स करने से औरतों में निखार आता है?...
 
महिलाओं की खूबसूरती बढ़ाने के लिए सेक्स करना कितना लाभकारी है।
 
क्या नियमित, लगातार इंटरकोर्स या रति न करने से नारियों भवन मेनोपॉज की समस्या आने लगती है?..
 
अमृतम पत्रिका, चित्रगुप्त गंज, नई सड़क, ग्वालियर मप्र की रिसर्च।
 
सूफी सन्तों की मान्यता है कि- पुरुष की खोपड़ी और स्त्री की भो……ड़ी ! कभी तृप्त नहीं होती।
 
बुजुर्ग अनुभवी कहते हैं कि स्त्री को सेक्स या सम्भोग में सन्तुष्ट कर पाना कुछ मुश्किल भरा काम है।
 
रतिक्रिया के अनेक अर्थ हैं-जाने…
 
रतिक्रिया एक संस्कृत शब्द है। अंग्रेजी में इसे सेक्स एवं इंटरकोर्स कहते हैं।
स्त्री या औरत के साथ पुरुष आदि का समागम रतिक्रीड़ा कहलाता है।
हिंदी में सम्भोग, सहवास, मैथुन, समागम, पिया मिलन, मिलना, रतिक्रीड़ा, रतिराज, रद्दा, राठ्यय, चुदाई, संगम, रतिदान, रात्रिमिलन, कामवासना तृप्ति, संसर्ग, रमण, और संग सोना आदि अन्य शब्द उपयोग में लाये जाते हैं।
रतिक्रिया में रूखे मर्दों की आयुर्वेदिक शक्तिवर्धक ओषधि..कैप्सूल और माल्ट के बारे में भी पढ़ें, जो पुरुषार्थ संबंधी रोगों में उपयोगी है।
 
विवाह के बाद रतिक्रिया बहुत जरूरी कर्म है और इसका अपना अलग महत्व है। रतिक्रिया के माध्यम से हमें सन्तान की प्राप्ति तथा वंश की वृद्धि होती है
 
अच्छी और आनंददायी रितिक्रिया के लिए तो औरतें शादी करती हैं अन्यथा खाने के लिए तो उनके घर में भी पर्याप्त होता है।
अगर मर्द रतिक्रिया करने में सक्षम है, तो किसी भी उम्र की औरत को रितिक्रिया में अत्यधिक परम सुख की प्राप्ति होती है।
स्त्री जातक के अनुसार जवानी में एक महिला एक दिन में 12 से 16 और अधेड़ावस्था में 4 से 6 बार सम्भोग कर सकती है।
जबकि मर्द जवानी में 5 से 8 बार तथा अधेड़ावस्था में एक से 2 बार तक रतिक्रीड़ा कर सकता है।
50 की उम्र में उसका खल्लास होना शुरू हो जाता है । फिर, औजार किसी नारी की यारी के लायक नहीं रहता।
चरक सहिंता के मुताबिक 40 के बाद शरीर को ओषधि खाद देते रहने से वह 60 की उम्र में खाट तोड़ने की क्षमता रखता है।
आयुर्वेदिक ग्रन्थों का अनुसरण करें, तो चालीस के बाद बाजीकरण औषधियों का नियमित सेवन शुरू कर देना चाहिए।
आयुर्वेद की मरदाना शक्ति बढ़ाने वाली दवाएं लेने से आदमी 70 के बाद बिस्तर पर नहीं पड़ता। क्योंकि पुरुष की ताकत केवल वीर्य और शूक्राणु होते हैं।
 
अतः चालीस के बाद, खाद पाने के लिए बी फेराल गोल्ड माल्ट एक चम्मच में आधा चम्मच अमृतम अश्वगन्धा चूर्ण मिलाकर सुबह नाश्ते के बाद दूध से दिन में एक बार लेने की आदत बना लेना जरूरी है।
नाश्ते के बाद दूध से दिन में एक बार लेने की आदत बना लेना जरूरी है।
 
 
नपुंसकता या नामर्दी का नासूर…समय रहते मिटायें। बुढापे का इंतजार न करें।
आयुर्वेद सहिंता आदि किताबों के लिंग में ढ़ीलापन अठाने से सम्पूर्ण शरीर शिथिल होने लगता है।
बुढापे या नामर्दी के लक्षण…बुढापा तब आया माने, जब अपाकी पत्नी, अपनी भिने यानी आपकी साली या बीबी अपनी सहेली को रात में आपके साथ अकेले भेजने लग जाये, तो समझ लें कि.. अब आपमें बुढापा आ गया है। (यह व्यंग्यात्मक है)
 
नामर्द लोगों के कारण अधिकांश महिलाएं अपनी सेक्स इच्छाओं का दमन कर लेती हैं।
विभिन्न प्रकार की सेक्स क्रिया करने वाले पुरुषों के प्रति औरतों का विशेष आकर्षण रहता है।
अनुभवी सेक्स सलकारों के अनुसार यदि मर्द स्त्री को सेक्स या रितिक्रिया में पूर्णतः संतुष्ट कर दे, तो वह कभी भी सम्भोग के लिए इनकार नहीं करेगी।
स्त्री रहस्य नामक एक पुरानी किताब में लिखा है कि औरतों को यदि रितिक्रिया में पूर्ण तृप्ति मिलने लगे, तो वे 55 वर्ष की आयु तक युवा, जवान और सेक्सी बनी रहती हैं।
कुछ आदमी रितिक्रिया में भरपूर सन्तुष्टि नहीं दे पाते, तो उन नारियों में बुढापा जल्दी आने की संभावना रहती है।
शास्त्रों के अनुसार कब करें रतिक्रिया… सेक्स के लिए यह समय होता है सबसे बेहतरीन..!!
भारत के धर्मग्रन्थ व शास्त्र कहते हैं रात्रि का तीसरा पहर यानी रात्रि में 12 बजे से सुबह 3 बजे के बीच रतिक्रिया के लिए उचित समय है।
24 घण्टे में 8 पहर होते हैं। एक पहर 3 घण्टे का रहता है। सूर्योदय से सूर्यास्त तक 4 पहर पूर्ण हो जाते हैं।
धार्मिक मान्यता है कि तृतीय पहर में की गई रतिक्रिया के फलस्वरूप जो संतान का जन्म होता है, उसे महादेव शिव का आशीष प्राप्त होता है।
ऐसी संतान अपनी प्रवृत्ति एवं संभावनाओं में धार्मिक, सात्विक, अनुशासित, संस्कारवान, माता-पिता से प्रेम रखने वाली, धर्म का कार्य करने वाली, यशस्वी एवं आज्ञाकारी होती है।
तीसरे पहर की रतिक्रिया में ठहरे गर्भ को शिव का आर्शीवाद प्राप्त होता है, इसलिए वे लंबी आयु जीते हैं एवं भाग्य के भी प्रबल धनी होते हैं।
सूर्यास्त के समय न करें सेक्स…महर्षि वात्सायन अनुसार सूर्यास्त के बाद प्रथम-द्वितीय पहर में भूलकर भी सम्भोग न करें। इसका दुष्परिणाम यह होता है कि परिवार में बरक्कत खत्म एवं धन की हो जाती है। सहारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक कष्ट मनुष्य सामने आते रहते हैं। व्यापार में उन्नति नहीं होती।
प्रातः-सांध्य बेला में राक्षस गण पृथ्वी लोक के भ्रमण पर निकलते हैं। उसी दौरान जो रतिक्रिया की गई हो, उससे उत्पन्न होने वाली संतान में भी राक्षसों के ही
समान गुण आने की प्रबल संभावना होती है।
प्रातःकाल, ब्रम्हमुहूर्त और शाम सूर्यास्त के वक्त की गई रतिक्रिया से प्राप्त पुत्र-पुत्री भोगी, चरित्रहीन, दुर्गुणी, माता-पिता एवं बुजुर्गों को दुःख देने वाली समाज की अवमानना करने वाली, अनैतिक, अधर्मी, अविवेकी एवं असत्य का पक्ष लेने वाली होती है।
साइंस्टिस्ट क्लेटन” प्रोफेसर साइक्रियाट्रिक मेडिसन वर्जीनिया यूनिवर्सिटी के मुताबिक मासिक धर्म के बाद महिलाओं में रतिक्रीड़ा की तीव्र इच्छा जागृत होना स्वाभाविक प्रक्रिया है, क्योंकि इन दिनों महिलाओं में गर्भधारण की काफी संभावना बढ़ जाती है। इस समय में की गई रितिक्रिया में चरम सुख की प्राप्ति होती है। वह अन्य दिनों की तुलना में बहुत ज्यादा होता है।
रतिक्रीड़ा के रोचक रहस्य …
 
यदि आप सेक्स का भरपूर आनंद उठाना चाहते हैं, तो कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां होनी बेहद जरूरी है।
 
क्या कहते हैं सेक्स स्पेशलिस्ट ?…–
 
सेक्सोलॉजिस्टों बताया है, कि मअहवारी के पश्चात 4 से 5 दिन तक महिलाएं सेक्स के मूड में रहती हैं या औरतों मेंसहवास की अत्यधिक इच्छा होती है, क्योंकि माहवारी/रजोधर्म से निपटने के बाद कामवासना या रतिदान उत्तेजित करने वाले हआर्मोन्स ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं।
हार्मोन्स शरीर के केमिकल मेसेंजर यानि सन्देश वाहक होते हैं। इनको रासायनिक दूत भी कहा जाता है।
ये शरीर मे ग्रन्थियों, कोशिकाओं से स्रावित होते हैं।
ये हमारे शरीर सभी अंगों तक रक्त के जरिये पहुँचकर उन्हें प्रभावित करते हैं। कम मात्रा में भी ये बहुत प्रभावशाली होती है। ये अपना कार्य करने के बाद नष्ट हो जाते हैं और उत्सर्जन के द्वारा शरीर से बाहर निकल जाते हैं।
अगर हार्मोन्स संतुलित हैं, तो शरीर पर इसका सकारात्मक प्रभाव होता है परन्तु यदि यह असंतुलित हैं, तो इनका बुरा प्रभाव पड़ता है।
जर्मन, यूनिवर्सिटी ऑफ बेम्बर्गन के सेक्स वैज्ञानिकों ने अनेक स्त्रियों पर किए गए एक शोध में पाया कि महिलाओं के साथ किस समय रतिदान में ज्यादा आनंद या सुकून की अनुभूति होती है।
क्या काम है इनका –
 
हार्मोन्स हमारे शरीर के विकास और निर्माण के
अतिरिक्त्त पाचन तन्त्र/मेटाबॉलिज़्म,
वैवाहिक जीवन यानि सेक्स लाइफ, “रिप्रोडक्शन”
यानि प्रतिकृति/प्रजनन/पुनरूत्पत्ति, एवं
मूड/मनोदशा, सेक्स नींद तथा विचारों
आदि को प्रभावित करते हैं।
 
 
सेक्स वैज्ञानिकों ने एक सर्वे के दौरान पाया कि महिलाओं के साथ इन दिनों के बीच किया जाने वाला सेक्स वैवाहिक संबंधो/मैरिज लाइफ को सुखी और आनंदमय बनाता है। दोनों में स्नेह/प्रेम/अपनापन पनपता है। हमेशा एक दूसरे का पूरी तरह ख्याल रखते हैं। भविष्य में दोनों के बीच सेक्स को लेकर भी कभी दूरियां नहीं होती।
किन कारणों से पुरुषों में पुरुषेन्द्रीय कमजोर होकर नपुंसकता एवं शक्ति हीनता आने लगती है?
कृपया कमजोर नामर्द 9 बातों पर ध्यान देवें —
 
【1】शुक्राणुओं का गतिशील न होने से।
 
【2】वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या एवं गुणवत्ता में लगातार कमी होते जाना।
 
【3】वीर्य का अधिक पतला होना।
 
【4】शुक्राणु का मृत एवं विकृत होना।
 
【5】वीर्य में संक्रमण एवं प्रतिपिंडों/एंटीबॉडीस्‌ का होना या पनपना।
 
【6】नये वीर्य का निर्माण न होना।
 
【7】रतिक्रिया या सम्भोग के समय पर्याप्त मात्रा में वीर्य का बाहर न निकल पाना।
 
【8】काम क्रियाओं या सेक्स ज्ञान का अभाव।
 
【9】सेक्स के प्रति कोई रुचि न होना।
 
इनके अलावा कई और भी कारण हो सकते हैं, नामर्दी या नपुंसकता के।
आयुर्वेदिक देशी दवाइओं से इन बीमारियों का इलाज कर पुरुषार्थ सम्बंधित रोगों को जड़ से मिटाया जा सकता है।
यदि धैर्य और विश्वास के साथ नीचे लिखी हर्बल मेडिसिन का उपयोग करें, तो रतिक्रिया का समय एवं सेक्‍स पॉवर बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा की आवश्‍यकता आज लगभग सभी पुरुषों की जरूरत है, इन 11 तरह की ओषधियों से बनाये, एक जबरदस्त शक्तिदाता योग …
(1) सहस्त्रवीर्या 20 gm
(2) मुलेठी 20 gm
(3) कोंच के बीज 10 gm
(4) अश्वगंधा 20 gm
(5) शुद्ध शिलाजीत 10 gm
(6) त्रिकटु 10 gm
(7) जायफल 3 gm
(8) सफेद मूसली 5 गम
(9) ताल मखाना 5 gm
(10) तृवंग भस्म 3 gm
(11) स्वर्ण भस्म 100 mg
इन जड़ीबूटियों को किसी पंसारी की दुकान से
खरीदकर इन्हें साफ कर सबको अच्छी तरह
पीसकर कपड़छन करें। इन सबकी 20 खुराक
बनाएं!
 
सेवन करने की विधि…प्रतिदिन सुबह-दुपहर एवं रात में सोने से 1 घण्टे पहले, इस प्रकार एक दिन में तीन बार इस खुराक को गर्म दूध के साथ 5 दिन तक लेकर देखें। साथ में घर का बना हुआ आँवला मुरब्बा का सेवन करें। लाभ होने पर इसे 2 से 3 माह तक नियमित लेवें, तो शरीर शक्तिशाली बन जाता है।
बहुत आसान इलाज
!! केवल पुरुषों के लिए!!
बी फेराल गोल्ड माल्ट और कैप्सूल
 
 
 
45 से अधिक जाँची-परखी शुद्ध आयुर्वेदिक दवाओं से निर्मित है।आँवला मुरब्बा, मुनक्का, सेव मुरब्बा को भी इसमें मिलाया गया है।
बी फेराल गोल्ड माल्ट
 
बी फेराल गोल्ड कैप्सूल
 
 
 
केवल पुरुषों के लिये .. एक सम्पूर्ण समाधान
 
Herbal Medicine for Men's Sexual Health
 
आपकी सेक्सुअल और इम्युनिटी पावर बढ़ाने के लिए अमृतम बनाया है- इसमें शुद्ध शिलाजीत, शुद्ध गुगल,केशर, सहस्त्रवीर्या/शतावरी, कोंच के बीज, वंग एवं त्रिवंग भस्म, स्वर्णमाक्षिक और स्वर्ण भस्म,अश्वगंधा, मधुयष्टि, आंवला, हरीतकी, अर्जुन, त्रिकटु आदि रसायन युक्त शक्तिवर्धक हर्बल मेडिसिन का सेवन करके आप वैवाहिक जीवन को खुशहाल बना सकते हैं।
कैप्सूल माल्ट को शक्तिशाली बनाने के लिए इसमें ◆ गोखरु, ◆ भुई आँवला , ◆हरड़ , ◆मुलेठी, ◆जटामांसी , ◆पुनर्नवा , ◆नागरमोथा , ◆विदारीकन्द , ◆नागकेशर , ◆तालमखाना , ◆पिप्पली , ◆दालचीनी , ◆कोंच के बीज , ◆इलायची , ◆तेजपात , ◆लोंग ,◆वंशलोचन , ◆केशर , ◆शुण्ठी आदि प्रमुख रूप से मिलाया है।
अन्य बीमारियों से उपजी नपुंसकता, नामर्दी या वीर्य की कमी में उपयोगी…
 
मौसमी बीमारियों जैसे सर्दी जुकाम के कारण अथवा थायराइड , वातरोग , मधुमेह अवसाद (डिप्रेशन) तथा मानसिक विकारों की वजह से जिनकी पुरुषार्थ शक्ति क्षीण या कमजोर गई हो,उन लोगों के लिए यह बहुत
ही असरकारक अमृत ओषधि है।
यह केवल पुरुषों के लिए रोगान्तक नाशक शुद्ध देशी दवा है! रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में बहुत ही बेहतरीन हर्बल मेडिसिन है।
 
■बी फेराल के फायदे…
 
पुरुषों में अपार बल , शक्ति – स्फूर्ति एवं योवनता प्रदान करता है।
इन्द्रिय शिथिलता दूर करने में बहुत लाभकारी है।
कामोत्तेजना जाग्रत करने में लाजबाब है।
तुरन्त असरकारक , आनंददायक , आयुर्वेदिक ओषधि है।
सेक्स की इच्छा जाग्रत कर,
पूर्ण संतुष्टि देने में लाजबाब इलाज है
सेक्स के प्रति विमुख होने वाले लोगों के लिए
बहुत पॉवर बढ़ाने वाला शक्तिवर्धक कैप्सूल है।
नई उम्र के नवयुवकों की समस्याओं जैसे-
शीघ्रपतन ,
स्वप्नदोष ,
पेशाब के साथ वीर्य का निकल जाना ,
ठंडापन ,
इन्द्रियों में ढ़ीलापन ,
तन-मन की थकावट ,
कामेच्छा में कमी ,
अतृप्ति ,
अशान्ति आदि यौन संबंधी विकारों को दूर करता है।
40 के बाद – शरीर को खाद देता है
सहवास में असफल पुरुषों में जरूरत से ज्यादा जोश और मर्दांगनी प्रदान करना इसका विलक्षण गुण है।
गर्वीली रमणियों (सेक्स की अधिक इच्छा रखने वाली स्त्रियों) को मदहोश एवं मान-मर्दन के लिए यह एक सक्षम हथियार है।
खोई हुई ताकत को पुनः जाग्रत कर शरीर को ऊर्जा-उमंग से भर देता है।
खोई हुई जवानी को पुनर्स्थापित करता है।
पुरुषार्थ संबंधित जटिल विकारों को दूर
कर शरीर को स्वस्थ्य,हष्ट-पुष्ट और बलवान
बनाने में सहायता करता है।
क्षरण हुई जवानी की शक्ति तथा उतेजना वापस लाकर शरीर को ताकतवर बना देता है।
बल-वीर्य में वेशुमार वृद्धि करता है।
“नवयुवकों” और “चालीस कीउम्र के पार” वालों के लिए बहुत लाभकारी आयुर्वेदिक ओषधि है। यह पूर्णतः हानिरहित योग है।
बहुत लम्बे समय तक सेवन करने से अनेक शारीरिक दोषों का नाश होता है। यह १०० फीसदी आयुर्वेदिक औषधि है, इसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं है।
अधेड़ावस्था के दुष्प्रभाव…बुढापे पुरुषों में सहवास के प्रतिअरुचि सी होने लगती है।
रतिक्रिया मन, तो बहुत होता है लेकिन तन साथ नहीं देता।
सेक्स तन्त्र ,अवयव तथा कोशिकायें शिथिल एवं कमजोर हो जाती हैं।
सेक्स के समय शरीर जल्द थकने लगता है।
वीर्य की मात्रा बहुत कम हो जाती है।
स्वभाव चिढ़-चिड़ा हो जाता है।
काम की कामना पूरी न हो पाने के कारण मतिभ्रम , भय , अवसाद (डिप्रेशन) आदि मनोविकार पीड़ित करते हैं
शुक्रजन्य परेशानियां पीड़ित करने लगती हैं।
वीर्य अत्यंत पतला हो जाता है।
बल,वीर्य व बुद्धि का ह्रास होने लगता है।
ध्यान देवें…यदि कुछ बातों का ध्यान रखा जाए और बी फेराल गोल्ड माल्ट एवं कैप्सूल का 45 से 60 दिन तक उपयोग किया जावे, तो “शीघ्रपतन की समस्या” से निजात पाई जा सकती है और अपनी सेक्स लाइफ को खुशहाल बनाया जा सकता है एवं लाइफ
पार्टनर को प्रसन्न रख सकते हैं।
सेवन विधि और मात्रा- एक चम्मच माल्ट तथा एक कैप्सूल सुबह खाली पेट गर्म गुनगुने दूध से। इसी तरह रात्रि ने खाने से 1 या 2 घंटे पहले गर्म दूध के साथ केवल 45 दिन तक लेने से होते है बहुत फायदे।
परहेज एवं सावधानी…रात्रि में सहवास से 1 या 2 घण्टे पहले भोजन करें।
रात्रि में दही , अरहर की दाल, सलाद , जूस, फल इत्यादि का सेवन न करें।
दुपहर के खाने में उड़द की दाल देशी घी का बघार लगाकर रोटी के साथ खाएं।
खट्टी चीजे, आचार आदि का त्याग करें।
सहवास (सेक्स) के बाद पानी न पियें।
अतिशीघ्र लाभ हेतु “बी.फेराल गोल्ड माल्ट” का सेवन करें,ताकि पाचनप्रणाली दुरुस्त रह सके।
इसमें डाले गए मुरब्बे पेट के रोगों को दूर करते हैं।
 
 
[[]][[चित्र:Kama Rati.jpg|thumb|300px|कामदेव तथा रति]]
'''रति''' देवी का उल्लेख प्राचीन काल से ही [[वेद]], [[शतपथ ब्राह्मण]], एवं [[उपनिषद्|उपनिषदों]] में होता चला आ रहा है। इन परंपराओं में इसे सौंदर्य की अधिष्ठात्री देवी एवं उषा के समकक्ष कहा गया है। पौराणिक परंपरा में [[दक्ष प्रजापति|दक्ष]] की पुत्री एवं शतपथ ब्राह्मण के अनुसार [[गन्धर्व|गंधर्व]] कन्या के रूप में इनका उल्लेख मिलता है। [[दक्ष प्रजापति|दक्ष]] एवं गंधर्व वस्तुतः विलासी जातियां रही है। इन्हें [[कामदेव]] की अर्धांगिनी भी कहा जाता है।
 
"https://hi.wikipedia.org/wiki/रति" से प्राप्त