वेदव्यास के बारे में काफी अश्लील और अंधविश्वास की बातें लिखी हुई थी। जिन्हें सही कर दिया गया है |
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वेदव्यास के बारे में काफी अश्लील और अंधविश्वास की बातें लिखी हुई थी। जिनमें बदलाव कर उन्हें सही कर दिया गया है
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व्यासजी ने पुराणों तथा महाभारत की रचना करने के पश्चात् ब्रह्मसूत्रों की रचना भी यहाँ की थी।<ref name=":0">{{Cite web|url=http://ignca.nic.in/coilnet/kbhu_v14.htm|title=Varanasi - Kashi Ki Vibhutiyna - Maharshi Vedvyas|website=ignca.nic.in|archive-url=https://web.archive.org/web/20171214073907/http://www.ignca.nic.in/coilnet/kbhu_v14.htm|archive-date=14 दिसंबर 2017|access-date=2020-01-08|url-status=dead}}</ref>
 
 
संस्कृत
 
 
ंस्कृतसंस्कृत साहित्य में वाल्मीकि के बाद व्यास ही सर्वश्रेष्ठ कवि हुए हैं। इनके लिखे काव्य 'आर्ष काव्य' के नाम से विख्यात हैं। व्यास जी का उद्देश्य महाभारत लिख कर युद्ध का वर्णन करना नहीं, बल्कि इस भौतिक जीवन की नि:सारता को दिखाना है। उनका कथन है कि भले ही कोई पुरुष वेदांग तथा उपनिषदों को जान ले, लेकिन वह कभी विचक्षण नहीं हो सकता क्योंकि यह महाभारत एक ही साथ अर्थशास्त्र, धर्मशास्त्र तथा कामशास्त्र है।<ref name=":0" />
 
१. यो विध्याच्चतुरो वेदान् सांगोपनिषदो द्विज:।