"वेदव्यास": अवतरणों में अंतर

→‎वेदव्यास के जन्म की कथा: वेद व्यास का नाम कृष्ण द्वैपायन कैसे पड़ा |
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प्राचीन ग्रंथों के अनुसार वेद व्यास बाल्यावस्था से ही आश्रम में रहे और और धर्म ग्रंथों का गहन अध्ययन किया|आगे चलकर यही बालक वेदज्ञ हुआ
[[File:Vyasa with his mother.jpg|thumb|महर्षि वेदव्यास अपनी माता के साथ]]
वेद व्यास अपनी माता [[सत्यवती]] का आशीर्वाद लेलेकर द्वैपायन द्वीप पर तप करने चले गए द्वैपायन द्वीप पर तपस्या करने तथा उनके शरीर का रंग काला होने के कारण उन्हे कृष्ण द्वैपायन कहा जाने लगा। आगे चल कर वेदों का विभाजन करने के कारण वे वेदव्यास के नाम से विख्यात हुये।<ref>{{Cite web|url=http://jaimaamansadevi.com/jmd/8-%E0%A4%AA%E0%A5%8C%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A3%E0%A4%BF%E0%A4%95-%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0-%E0%A4%9C%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A4%95%E0%A5%8B-%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A5%83%E0%A4%A4-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%A8-%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A4%BE-%E0%A4%B9%E0%A5%88|title=8 पौराणिक पात्र, जिनको अमृत का वरदान मिला है :: ॐ Jai Mata Di ॐ|website=jaimaamansadevi.com|access-date=2020-01-08}}{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref>
 
== वेद व्यास के विद्वान शिष्य ==