"हर्यक वंश": अवतरणों में अंतर

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'''हर्यक वंश''' <ref>{{Cite web |url=http://www.samanyagyan.com/general-knowledge/haryak-empire-rulers-names-and-history-in-hindi.php |title=हर्यकवंश चमार, कोरी ,पासी के शासक |access-date=31 मई 2017 |archive-url=https://web.archive.org/web/20170528030317/http://www.samanyagyan.com/general-knowledge/haryak-empire-rulers-names-and-history-in-hindi.php |archive-date=28 मई 2017 |url-status=dead }}</ref>
की स्थापना ५४४ ई. पू. में [[बिम्बिसार]] के द्वारा की गई। बिम्बिसार ने गिरिव्रज ([[राजगृह]]) को अपनी राजधानी बनायी। इसने वैवाहिक सम्बन्धों (कौशल नरेश प्रसेनजित की बहन महाकोशला, वैशाली के चेटक की पुत्री चेल्लना एवं पंजाब की राजकुमारी क्षेमा) से शादी की नीति अपनाकर अपने साम्राज्य का विस्तार किया। जैन साहित्य में बिम्बिसार का नाम 'श्रेणिक' मिलता है।
 
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* उसने शासनकाल के आठवें वर्ष में बुद्ध के महापरिनिर्वाण के बाद उनके अवशेषों पर राजगृह में स्तूप का निर्माण करवाया और ४८३ ई. पू. राजगृह की सप्तपर्णि गुफा में प्रथम बौद्ध संगीति का आयोजन किया। इस संगीति में बौद्ध भिक्षुओं के सम्बन्धित पिटकों को सुतपिटक और विनयपिटक में विभाजित किया।
* सिंहली अनुश्रुतियों के अनुसार उसने लगभग ३२ वर्षों तक शासन किया और ४६० ई. पू. में अपने पुत्र उदयन द्वारा मारा गया था।
* अजातशत्रु के शासनकाल में ही महात्मा बुद्ध 483463 ई. पू. महापरिनिर्वाण तथा महावीर को भी [[कैवल्य]] (४६८ ई. पू. में) प्राप्त हुआ था।
 
==उदायिन==