"लाला श्रीनिवास दास": अवतरणों में अंतर

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'''लाला श्रीनिवास दास''' (1850-1907) [[हिन्दी|हिंदी]] के उपन्यासकार और नाटककार थे। 25 नवम्बर 1882 को प्रकाशित उनके उपन्यास [[परीक्षा गुरू]] को रामचंद्र सुक्ल ने अंग्रेजी ढंग का हिंदी का पहला मौलिक उपन्यास कहा है। वे [[मथुरा]] के निवासी थे और हिंदी, [[उर्दू भाषा|उर्दू]], [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]], [[फ़ारसी भाषा|फारसी]] और [[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेजी]] के अच्छे ज्ञाता थे।
गौरव प्राप्त है। इस उपन्यास का नाम [[परीक्षा गुरू (हिन्दी का प्रथम उपन्यास)]] है जो 25 नवम्बर 1882 को प्रकाशित हुआ। लाला श्रीनिवास दास [[भारतेन्दु युग|भारतेंदु युग]] के प्रसिद्ध नाटकार भी थे। नाटक लेखन में वे भारतेंदु के समकक्ष माने जाते हैं। वे [[मथुरा]] के निवासी थे और हिंदी, [[उर्दू भाषा|उर्दू]], [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]], [[फ़ारसी भाषा|फारसी]] और [[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेजी]] के अच्छे ज्ञाता थे।
== रचनाएं ==
* [[नाटक]]