"धर्म": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:MonWheel.jpg|right|thumb|250px|[[धर्मचक्र]] (गुमेत संग्रहालय, पेरिस)]]
[[चित्र:AsokaKandahar.jpg|ंright|thumb|300px|[[अशोक|सम्राट अशोक]] द्वारा लिखवाया गया [[कांधार|कान्धार]] का द्विभाषी शिलालेख (258 ईसापूर्व) ; इस लेख में [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] में 'धर्म' और [[यूनान|ग्रीक]] में उसके लिए 'Eusebeia' लिखा है, जिसका अर्थ यह है कि प्राचीन भारत में 'धर्म' शब्द का अर्थ आध्यात्मिक प्रौढ़ता, भक्ति, दया, मानव समुदाय के प्रति कर्तव्य आदि था।]]
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'''मोह (भाईभतीजावाद) व माया (मुद्रा)''' जैसे सामाजिक विश्वासों के आधार पर बनी व्यवस्था व्यावसायिक [[:en:Council|परिषद]] ''' '''कहलाती है व इस व्यवस्था को ब्राहमा दर्शन के नाम से भी जाना जाता है इस में पूर्व लिखित कानून व्यस्था लागु होती है जिसे धर्म भी कहा गया है आज के समय ये रिलिजन व संविधान के नाम से जाना जाता है ।
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एकनिष्ठ भाव से एक परमात्मा का चिंतन ही धर्म है।
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{{मुख्य|हिन्दू समुदाय}}
[[गौतम ऋषि]] कहते हैं - 'यतो अभ्युदयनिश्रेयस सिद्धिः स धर्म।' (जिस काम के करने से '''अभ्युदय''' और '''निश्रेयस''' की सिद्धि हो वह धर्म है। )
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