"स्पेक्ट्रोस्कोपी": अवतरणों में अंतर
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=== ग्रेटिंग स्पेक्ट्रोग्राफ (Grating Spectrograph) ===
कई सँकरी झिरियों को समानांतर रखकर जो झिरीसमूह बनाया जाता है उसे ग्रेटिंग कहते हैं। यदि स्वच्छ पारदर्शक काँच पर समांतर रेखाएँ खुरच दी जाएँ तो प्रत्यक दो रेखाओं के बीच का पारदर्शक स्थान झिरी का काम देता है। ऐसे शीशे को समतल पारगामी (plane transmission) ग्रेटिंग कहते हैं। इनका उपयोग प्रिज्म की ही
वक्र ग्रेटिंग स्पेक्ट्रोलेखी में लेंस की आवश्यकता नहीं होती है। रश्मिपुंज एक सँकरी झिरी से होकर ग्रेटिंग पर पड़ता है। परावर्तित रश्मियाँ स्वत: एक वृत्त पर केंद्रित हो जाती हैं। इस वृत्त को "रोलैंड वृत्त" कहते हैं। जिस वक्रतल पर रेखाएँ खुरची जाती हैं उसे "ग्रेटिंग ब्लैक" कहते हैं। रोलैंड वृत्त का अर्धव्यास "ब्लैक" के वक्रतार्धव्यास का आधा होता है। यह वृत्त ग्रेटिंग को उस स्थान पर स्पर्श करता है जहाँ इसका व्यास-ग्रेटिंग पर अभिलंब होता है। इसी अभिलंब के दूसरे सिरे पर झिरी का प्रत्यक्ष बिंब बनता है। इसे शून्य कोटि का स्पेक्ट्रम कहते हैं। इसके दोनों ओर रोलैंड वृत्त पर जो सर्वप्रथम स्पेक्ट्रम पाए जाते हैं उन्हें प्रथम कोटि का स्पेक्ट्रम कहा जाता है। इसी वृत्त पर और आगे क्रमश: कम तीव्रता के कई स्पेक्ट्रम मिलते हैं। इन्हें क्रमश: द्वितीय, तृतीय आदि कोटि का स्पेक्ट्रम कहा जाता है।
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